Book Title: Kalpasutra
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur

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Page 448
________________ पल्योपम -विशेष प्रकार का समय (काल) सूचक माप । जो संख्या अंकों द्वारा प्रकट न की जा सके, उसे उपमा द्वारा प्रकट करना । पल्य-विशेष प्रकार का माप, उपम-उपमा द्वारा काल गणना करना पल्योपम कहलाता है, अर्थात् संख्यातीत वर्ष, असंख्य काल । पादपोपगमन - अनशन ग्रहण करने के पश्चात् मरण-पर्यन्त वृक्ष की तरह शरीर को स्थिर रखते हुए समाधिस्थ || amma पान -पीने का सादा एवं स्वच्छ पानी। पारिष्ठापनिका समिति - देखें, 'समिति'। पुरुषादानीय - पुरुषों में प्रादरणीय एवं श्रेष्ठ । भगवान् पार्श्वनाथ का विशेषण । पौरुषी -जिस समय अपनी प्रतिच्छाया पुरुष प्रमाण हो वह समय, समय का भाग विशेष । सामान्यतया ३ घंटे का समय, एक प्रहर । प्रतिमा - साधु एवं श्रावक के सामान्य नियमों के अतिरिक्त विशिष्ट प्रकार के कठोर नियम तथा तपश्चर्या । साधु की बारह तथा श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएं हैं। प्रवर्तक - संयम की शुद्धि तथा शास्त्राभ्यास में प्रेरणा देने वाला अधिकारी श्रमण । प्रहर - ३ घंटे का समय, दिन-रात २४ घन्टे के आठ प्रहर माने जाते हैं । प्रायश्चित्त -दोषों का शोधन । स्नान करने के पश्चात् शरीर को अथवा अन्य किसी कार्य में विघ्न न हो, एतदर्थ शरीर पर अथवा शिर पर भस्मादि डालना, काला डोरा पहनना, काला बिन्दु लगाना । बलदेव -त्रिखण्ड के अधिपति वासुदेव का बड़ा भाई । बलिकर्म - गृह देवता का पूजन । SIR ( xxvii ) Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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