Book Title: Kalpasutra
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur

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Page 447
________________ जवोदक -जौ का धोवन । जातिस्मरण ज्ञान - पूर्व जन्म का ज्ञान । ज्योतिषिक - सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र, तारा प्रादि जैन परिभाषा के अनुसार ज्योतिषिक देव कहलाते हैं । ज्ञान - किसी भी पदार्थ का विशेष प्रकार का बोध । तिलोदक - तिल का घोया हुआ पानी, धोवन ।। तीर्थकर - तीर्थ की स्थापना करने वाला, धर्मचक्र का प्रवर्तक । तुषोदक -तुष (छिलका) दाल आदि छिलके वाली वस्तु का धोवन । दत्ति - एक बार संलग्न व अक्षतधारा रूप से दिया जाने वाला ग्राहार-पानी चाहे एक बार में एक करण भर पाहार दिया जाय या एक बूंद जल, वह एक दत्ति कहलाती है। दर्शन - किसी भी पदार्थ का सामान्य ज्ञान । द्वादशांगी -जैनागमों में बारह अंग (शास्त्र) मुख्य हैं - आचार, सूत्रकृत, स्थानांग, समवाय, भगवती, ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृद्दशा, अनुत्तरोपपातिकदशा, प्रश्नव्याकरण, विपाक और दृष्टिवाद । नगरगुप्तिक - नगर की व्यवस्था करने वाला अधिकारी, कोतवाल आदि । नाम कर्म -देखें, 'कर्म'। पडिलेहणा - उपयोग में आने वाले वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों को समय-समय पर देखना । पर्याप्ति - शरीर, इन्द्रिय आदि की पूर्ण रचना । ammu ( xxvi ) Bain Education Intemotional For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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