Book Title: Kalpasutra
Author(s): Bhadrabahuswami, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur

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Page 430
________________ ( ix ) Jain Education International १७. महावीर तपस्या : वन में कायोत्सर्गं मुद्रा में खड़े महावीर । चित्र में दो वृक्षों द्वारा वन का अंकन किया गया है। महावीर के एक ओर वैद्य और दूसरी ओर चरवाहा है। तपस्यारत महावीर स्वामी पर आक्रमण करते सर्प एवं बाघ । ( पृ० १७४ ) १८. समवसरण में महावीर : चार दरवाजों एवं तिहरे दीवारों वाले घेरे में विराजमान महावीर । चारों कोनों में सर्प, हाथी, सिंह एवं अन्य जानवर बने हैं। चित्र में निचले भाग में हंस-पंक्ति ( पृ० १८४ ) १६. सिद्ध स्वरूप महावीर ईषत् प्राग्भार में सिद्ध-शिला पर श्रासीन महावीर । उनके सिंहासन के ऊपर प्रतीकात्मक छत्र बना है। सिद्ध-शिला के नीचे पर्वत और स्वामी के दोनों ओर दो वृक्ष ( पृ० १६० ) २०. गौतम गणधर : श्रमण-वेष ( सुनहली जमीन पर सफेद बुंदकियां ) में छत्रयुक्त सिंहासन पर श्रासीन महावीर स्वामी के पट्ट शिष्य गौतम गणधर ( पृ० १६४ ) २१. पार्श्वनाथ सिंहासन पर विराजमान तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ, उनके मस्तक पर सात फनों का सर्प है। तीर्थंकर के दोनों ओर एक-एक बांसुरी वादक एवं सेवक हैं। ( पृ० २०८ ) २२. चित्र दो भागों में विभक्त है ऊपर कमठ की पंचाग्नि तपस्या, नीचे अपने सेवक से सर्प निकलवाते पार्श्वनाथ (हाथी पर विराजमान पार्श्व की प्राज्ञा से उनके सेवक का लकड़ी काटना और उसमें से सर्प का प्राकट्य ) | ( पृ० २१२ ) २३. पार्श्व तपस्या : कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े पार्श्व, मेघमाली देव का श्राक्रमण और नागराज धरणेन्द्र द्वारा उनकी सेवा ( पृ० २१६ ) २४. ऊपर कृष्ण की श्रायुधशाला में नेमिकुमार द्वारा शंखवादन, नीचे कृष्ण का नेमिकुमार के साथ बल- परीक्षण | ( पृ० २२६ ) २५. कृष्ण एवं उनकी पत्नियों का नेमिकुमार से विवाह के लिए आग्रह । ( पृ० २२८ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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