Book Title: Kalpa Sutra Author(s): Bhadrabahuswami, Publisher: Nagor View full book textPage 9
________________ मासे अतिप्रति पूरे एक माढा सात होश विपरि मनातल शाई अवश्य देह भुषन लाभ रहेदेवानु प्रिये इस निश्वई देवानुजिये नवे *सुरकलालोदेवाने कालु उमरवा गाव मा सारांश बयदिप्रयाग हमारा सई दिया जमरा लागादिक एतल झापक मंआला हविपगयेदमा लक्ष्यणेकरी ही न प्रतिशिरा पाचें प्रिये ॥ स्वस्तिकक्षका ममा तिला तियाना पि ॥ श्राश्र माने पुरुषमा 'छा नही रूप ऊती सदिक परंण तेवयंजन गुर पियरपये नत्र, वात प्रमाणो पता जरासहित तर लदो गमयता समू 'हाइसमूमि जान परिनीपना गम अदुहनीपरि लेकर बहोरमा वितिक्कंताणं । सुकुमालया लिया । श्रही पडियम में चिं दिय मरोरील वंज गुरामा तिम किमान उन्मान प्रमाणाई करी प्रतिपूर मुजातली मचलाउ तिलिकारीत बैमा सौम्यग्राकारये कमनीय श्रमी दरसण देव चलो ॐ मारी सक इसारता दोप या मारणम्मा यमापडि प्रेम सुजाय सगसुंदरंगीस सिमा मा कारें। कांत पियदे सां। सलीबाहिरनीमर इतेमा लम्मारण माणूयमाणु। रूपश्मउदा प्रसवमि जिगसि भने पुणिरंग मोना दारक उत्तपावन्य बालक विज्ञानजा पत्र बुद्धादिकन परि यो वनगमन अश्विन गतिमा परिपाक जिपिश्रमवाविज्ञा 'दन ॥ रकपुष वैदार ययया व्हिमि में वियण दारएव मुक्क बालता वा विस्मययरिमय मित्रे । जाचरणगम् ऋगवेद ययुर्वेद सामवेद श्रधर्वणवेद ध वेदनेहना अतिहासपुराणां चमावेदन निर्घटनाममाला नउजाग ru नोपेतला तोल ज्ये नरा मारलाइते उन्मानात सिष्यादिक निवरख तु लवणं न प्रमुख आदि द गुलश्माणन [व] नागे गु उजाण सूत्र नव आण त्रि सामान्यन न तीरथ कर २२० प्रा श्रीगुल व गुप्ता रिया ऊनाय सामावया श्रघ वर विय। इति दामयं माघि बडा पाकला याकरण अंगोपांगसहित रहस्यगुतार्धमहततेद च्यारिवेदना जाण मारक प्रववा पारगामी तरणाचा विध्यादिको साबित का लिग उपोग नाराम गड जारण यकशास्त्रनिहायता घ्यादिकना कहा नाजा स्मारक जब नियारम गागा बंगारा सर हरमाणं च न राहावया वयाणां सार । पाराधार एसडेगवा सहिततवि स्ति रिणाम येह नवकव ई॥३॥ ॥ माच राष्ट्र बुधादिक परिशा मन इंद्र वनव व कहा हार का उ । बुध्यादि कपरिणाम सहित] ॥ दिननाजिव तिहा प्रवारण्६ ही जाण ॥१॥Page Navigation
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