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શ્રી નાટક સમયસારના પદો
पुण्य-५।५ मेऽत्य द्वार
__प्रतिशत (asu) करता किरिया करमकौ, प्रगट बखान्यौ मूल । अब बरनौं अधिकार यह, पाप पुन्न समतूल ||१||
(सश-१-८१)
बना
મંગળાચરણ (કવિતા માત્રિક) जाके उदै होत घट-अंतर,
बिनसै मोह-महातम-रोक । सुभ अरु असुभ करमकी दुविधा,
मिटै सहज दीसै इक थोक || जाकी कला होत संपूरन,
प्रतिभासै सब लोक अलोक | सो प्रबोध-ससि निरखि बनारसि, सीस नवाइ देत पग धोक ||२||
(सश-२-८२)
પુણ્ય-પાપની સમાનતા (સવૈયા એકત્રીસા) जैसैं काहू चंडाली जुगल पुत्र जनें तिनि,
एक दीयौ बांभनकै एक घर राख्यौ है। बांभन कहायौ तिनि मद्य मांस त्याग कीनौ,
चंडाल कहायौ तिनि मद्य मांस चाख्यौ है।। तैसैं एक वेदनी करमके जुगल पुत्र,
एक पाप एक पुन्न नाम भिन्न भाख्यौ है। दुहूं मांहि दौरधूप दोऊ कर्मबंधरूप, या ग्यानवंत नहि कोउ अभिलाख्यौ है ।।३।।
(लश-3-८3)
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