Book Title: Kaisi ho Ekkisvi Sadi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 7
________________ महाप्रज्ञ का अनमोल सृजन प्रस्तुत है मौलिक चिन्तन शुभ भविष्य का आकलन देता है एक नया दिशादर्शन बढ़ेगा चैतन्य का मूल्य मानव का अधिमूल्य शांति, संतुलन और समन्वय का पथ देगा जीवन को एक नया अथ बदलेगी दिशा, बदलेगी दृष्टि संभव बनेगी शुभ भविष्य की सृष्टि। कैसी हो इक्कीसवीं शताब्दी? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर अनुपम और अनुत्तर अध्यात्म और संयम का मंत्र चैतन्य का श्रीयंत्र शिक्षा का तंत्र रचेगा एक नया इतिहास उज्ज्वल निर्मल आकाश एक नया उच्छ्वास जीवन का हर श्वास देगा एक नया आश्वास नूतन विश्वास अपरिमेय उल्लास। 17 सितम्बर, 1999 अध्यात्म साधना केन्द्र दिल्ली -मुनि धनंजय कुमार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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