Book Title: Jyotish Kaumudi Author(s): Durga Prasad Shukla Publisher: Megh Prakashan Delhi View full book textPage 5
________________ ज्योतिष शास्त्र : मृत परंपरा का बोझ या सनातन सत्य इक्कीसवीं शती में जब अंतरिक्ष में अनुसंधान के लिए अत्यधिक समुन्नत उपकरण उपयोग में लाये जा रहे हैं और हमारे चिर-परिचित ग्रहों के संबंध में अब तक अज्ञात नयी-नयी खोजें की जा रही हैं, तब क्या हम प्राचीन ज्योतिष ग्रंथो में वर्णित इन ग्रहों के विवरणों और तथाकथित प्रभावों को किस सीमा तक मानें ? क्या ज्योतिष शास्त्र सटीक वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है ? क्या ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास महज एक अंध-विश्वास है, क्या वह एक मृत परंपरा के बोझ को ढोने के समान नहीं है ? और भी ऐसे अनेक प्रश्न हैं, जो ज्योतिष शास्त्र के संबंध में प्रबुद्ध जनमानस में उठते हैं। ज्योतिष शास्त्र की उपयोगिता के संबंध में एक संभ्रम की स्थिति दिखायी देती है। उसकी वैज्ञानिकता पर प्रश्न चिह्न लगाये जाते हैं और कभी-कभी उसका उपहास भी किया जाता है। इस स्थिति के लिए कुछ अंशों तक वे तथाकथित ज्योतिषी एवं ज्योतिष कृतियां भी जिम्मेदार हैं, जो नक्षत्रों, राशियों, ग्रहों आदि के शुभ-अशुभ प्रभावों को विधाता का लेख घोषित कर, उनके निवारणार्थ उपाय और उपचार भी पेश करती हैं। जबकि तथ्य यह है कि ज्योतिष शास्त्र के सुधी विद्वान भी मानते हैं, ग्रहादि विधायक नहीं, किसी शुभ-अशुभ स्थिति के सूचक ही होते हैं और व्यक्ति अपने कर्म द्वारा इन फलों में न्यूनता भी ला सकता है। मनुष्यों और करोड़ों मील दूर स्थित ग्रहों और नक्षत्रों के बीच क्या कोई संबंध है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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