Book Title: Jyotish Kaumudi
Author(s): Durga Prasad Shukla
Publisher: Megh Prakashan Delhi

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Page 8
________________ होता तो शायद मनुष्य का वर्तमान रूप भी नहीं होता। धरती पर सारा जीवन जलमय ही होता अर्थात् पृथ्वी पर थलचर की बजाय जलचर ही होते। अर्थात् पानी में रहने वाले जीव। इसी प्रकार यदि गुरु अपने गुरुत्वाकर्षण से अंतरिक्ष के शीतकाय उल्का पिंडों को अपनी ओर नहीं खींचता तो शायद वे धरती से टकराते रहते और उस स्थिति में पृथ्वी पर आज जैसा जीवन होता, इसमें संदेह है। डाइनासोरो आदि का विनाश ऐसे ही एक भीमकाय उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से हुआ था। सूर्य और चंद्रमा की राशियों का प्रभाव हम प्रतिदिन अनुभव करते हैं। यह भी स्वीकार किया गया है कि पूर्णिमा की रात्रि को लोगों को पागलपन के दौरे ज्यादा पड़ते हैं। कुछ समुद्र तटों का भी पता चला है, जहाँ पूर्णिमा की रात हजारों मछलियां तट पर आकर प्राण गंवाती हैं। क्या सूर्य, चंद्र को छोड़ मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि नेपच्यून, यूरेनस, प्लेटो आदि का भी धरतीवासियों पर ऐसा ही कोई प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र तो यह मानता ही है कि ग्रहों का मनुष्य के व्यक्तित्व-कृतित्व आदि पर प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक भी अब इन ग्रहों के मानव-जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। अतः जब तक कोई विपरीत वैज्ञानिक निष्कर्ष नहीं प्राप्त होता, तब तक ज्योतिष शास्त्र के सिद्धांतों की अंधविश्वास' कहकर उपेक्षा करना हितकर नहीं होगा। भारत, ग्रीस (यूनान), अरब आदि देशों में ज्योतिष शास्त्र का प्रचलन सदियों से है। अगर ये सिद्धांत 'मात्र अंधविश्वास होते तो सदियों तक जीवित ही नहीं रहते। प्रचार-प्रसार की तो बात दूर। ज्योतिष शास्त्र का उद्देश्य क्या है ? या उसका उद्देश्य क्या होना चाहिए। इन प्रश्नों के उत्तर में बहुत विस्तार से भी लिखा जा सकता है लेकिन हमारी समझ के अनुसार ज्योतिष शास्त्र का उद्देश्य यही है कि कोई भी व्यक्ति नक्षत्र-ग्रहादि के अपने पर पड़े प्रभावों को समझे। अच्छे प्रभावों में वृद्धि करे। बुरे प्रभावों को दूर करने का प्रयत्न करे। इसी तरह जीवन में आगे पड़ने वाले इन ग्रहादि के अच्छे-बुरे प्रभावों को पहले ही समझ कर तदनुसार अपने जीवन को संवारने के लिए चेष्टा करे। क्योंकि ग्रहादि केवल संकेतमात्र की सूचना देते हैं। ज्योतिष शास्त्र को समझ कर हम यह जान सकते हैं कि भविष्य में ऐसा घटित हो सकता है। ऐसा ही होगा, यह विश्वास करना भूल ही होगी। ऐसा सोचना खतरनाक भी है, यह हमारी मान्यता है। यों भी फलादेश उतना आसान नहीं है, जितना उसे समझ लिया गया है। आप किसी पंडितजी या ज्योतिषीजी के पास जाते हैं। वह आपकी ज्योतिष-कौमुदी : (खंड-1) नक्षत्र-विचार - 6 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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