Book Title: Jyoti Kalash Chalke
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 144
________________ चरण प्रकाश है । यह हम पर निर्भर है कि हम जीवन की उपलब्धि अंधकार के रूप में चाहते हैं या प्रकाश के रूप में । अगर उपलब्धि में अंधेरा चाहते हो तो बाहर की आंखों को खुली रहने दो और अगर प्रकाश चाहते हो तो भीतर की आंखें खोलो । यही अन्तश्चक्षु का विमोचन होगा | शिव के तीसरे नेत्र का उद्घाटन | सच में वही जिसे महावीर प्रज्ञा-नेत्र कहते हैं । यह प्रज्ञा नेत्र ही वास्तव में प्रज्ञादीप को प्रकट करता है । प्रज्ञादीप की निधूम ज्योति ही निर्वाण को उपलब्ध होती है | वह ज्योति, ज्योति शिखरों को सजाती है । विश्व उसकी युगों तक वंदना करता है और सत्य उस दिये को सदा बाती प्रदान करता है | सत्य वाणी का, अंतर का/ १३५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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