Book Title: Jyoti Kalash Chalke
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 161
________________ करते कुछ भी नहीं वे केवल अपने आपको आश्वासन दे रहे हैं ।' __ दुनिया में दो तरह के वीर होते हैं - एक तो वचनवीर और दूसरे कर्मवीर | वचनवीर, कर्मवीर हो यह कठिन है | सच तो यह है कि कर्मवीर, वचनवीरता में विश्वास ही नहीं रखते । ऐसे लोग जबान से नहीं, आचरण से ही अपनी बात को व्यक्त करते हैं । आज जब राजनेताओं को सभी लोग कथनी-करनी में फर्क रखने वाले मानते हैं, वहाँ गांधीजी के प्रति हर कोई आदर्श भावना रखता है। उनकी राजनीति, महत्वाकांक्षा की आपूर्ति नहीं वरन् राष्ट्रनीति रही। राष्ट्र के लिए जिये, खुद एक राष्ट्र बनकर जिये । नतीजतन, एक राजनेता होकर भी दुनिया की नजरों में महात्मा बने । विदुर, चाणक्य और गांधी तीनों लोग अलग-अलग समय में हुए, पर राष्ट्र के लिए नैतिकता को आत्मसात् करने वाले हुए थे। विश्व ऐसे कर्मवीरों को, गांधियों को सदा सम्मान देता रहेगा । कहकर कना, करके कहना और करने को ही कहना मानना, जीवन के अलग-अलग रूप हुए । तीनों के अपने-अपने दायरे और प्रभाव हैं, अब यह आप पर है कि आपको कौन-सा रूप अपने लिए स्वीकार्य लगता १५२/ ज्योति कलश छलके : ललितप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org


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