Book Title: Jyoti Kalash Chalke
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 155
________________ पर.......।' _ 'पर क्या, आप जो कहें, वह करने को मैं तैयार हूँ, पर फकीर साहब ! मेरे बेटे को जीवित कर दीजिये ।' माँ ने फकीर के चरण पकड़ते हुए कहा । __ फकीर मुस्कराये, कहा, 'इस युवक को जीवित तो किया जा सकता है । पर आयी हुई मौत कभी खाली हाथ नहीं जाती । इस युवक के पीछे कोई मरने को तैयार हो, तो मैं इसे जीवित कर सकता हूँ ।' फकीर की बात सुन सब एक दूजे से पीछे खिसकने लगे | सभी के आँसू सूख गये । फकीर ने सबसे पहले माँ से कहा, 'तुम अपने पुत्र के पीछे मर जाओ ।' __माँ बोली, 'यह कैसे संभव है | मेरा एक बेटा तो नहीं है, पाँच-पाँच बेटे हैं | आखिर किस-किस के लिये मरूंगी ?' फकीर ने पिता से पूछा । वे कहने लगे, 'मरे के पीछे मरा थोड़ी ही जाता है ।' युवक की पत्नी ने यह कहकर हाथ छिटक दिये कि जो चले गये है, उन्हें जाने दें । मैं अपनी जिन्दगी जैसे-तैसे चला लूंगी । ___ फकीर ने वहाँ खड़े प्रत्येक व्यक्ति से पूछा, लेकिन युवक के लिये मरने को कोई तैयार नहीं हुआ | फकीर युवक के पास गया । एक चांटा मारा, कहा, 'बोल, तू कहता था तेरे घर छोड़ने पर सारा परिवार खुदकशी कर लेगा । देख लिये, संसार के बंधन, कोई तुमसे नहीं बंधा है । तुम बंधे हो सबसे । काश ! इनसे छूट कर तुम अपने आप से बंध पाते ।' युवक शर्मिन्दा था । फकीर के पाँव दरवाजे की ओर बढ़ गये । लोगों ने देखा युवक फकीर का अनुसरण कर रहा था । दोनों निकल गये, पर कोई कुछ बोल न पाया । ___ महावीर इसे बंधन कहते हैं । इस बंधन में व्यक्ति स्वयं जकड़ा है, दोष मढ़ता है, दूसरों के सिर पर । यदि ये बन्धन बाहर के होते तो हर कोई समझ लेता, पर ये भीतर के हैं । मैं आपको वह संदेश देना चाहता हूँ, जिससे आप अपने बन्धनों को समझ सकें और अपनी जन्म-जन्म की जंजीरों को तोड़ सकें। इसलिए महावीर ने बंधन शब्द के साथ ही मोक्ष शब्द का प्रयोग किया, एक से छूटना है और दूसरे में प्रवेश करना १४६/ ज्योति कलश छलके : ललितप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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