Book Title: Jyoti Kalash Chalke
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 152
________________ भाषण और घर जाकर अपनी ही बहओं को जलाना, धर्म-सभाओं में शराब के विरोध में घंटों भाषण और शाम को मधुशाला में पहुँचना, न्यायालय के आगे जाकर सत्याग्रह का आन्दोलन और रात को वही तस्करी का व्यवसाय, जीवन की दोहरी नीति नहीं तो और क्या है । ये वो इन्सान हैं, जिनको दो मुँहा मानव की संज्ञा दी जानी चाहिये । क्या मिलिये ऐसे लोगों से, जिनकी सूरत छिपी रहे । नकली चेहरा सामने आये, असली सूरत छिपी रहे | दुनिया ऐसे लोगों से भरी हुई है, जिनकी कथनी कुछ और करनी कुछ है । आज के सूत्र में, महावीर ने, उन लोगों को लताड़ा है जो केवल भाषणबाजी में विश्वास रखते हैं । वेद व्यास ने भी ऐसे लोगों का जीवन, शून्य माना है । महाभारत में वे कहते हैं श्रृणुयक्ष कुलंतात, न स्वाध्यायो न श्रुतम् कारणं हि द्विजत्वेचवृत्त मेव न संशयः । ब्राह्मणत्व की असली परिभाषा दी है वेदव्यास ने । ब्राह्मणत्व में न कुल कारण है, न स्वाध्याय और न शास्त्र श्रवण । निस्सन्देह ब्राह्मणत्व का हेतु आचरण है। __ वेद व्यास ने बात पते की कही है । ब्राह्मणत्व का हेतु आचरण | ब्राह्मण अर्थात जो ब्रह्म में रमण करे, बह्म में जीये । उसे ब्राह्मण मत समझना जो ब्रह्म की परिभाषा करे | बह्म की परिभाषा हर कोई कर देगा पर ब्रह्म में रमण, इस सन्दर्भ में वह शून्य मिलेगा। ___ गाँधी कहा करते थे, एक मन भाषण की अपेक्षा एक कण आचरण श्रेयकर है | महावीर के इस सूत्र से, उन राजनेताओं को भलीभाँति सीख लेनी चाहिये जो; मात्र अपने वाक् चातुर्य के कारण भोली-भाली जनता को, हर पांच साल बाद फंसा लेते हैं । वे स्वयं तो अंधकार में जीते ही हैं. जनता को भी उसी अंधियारे में जीने के लिये अभ्यस्त कर देते हैं । इसलिये नेता शब्द, जो कभी सम्मान का सूचक माना जाता था, बड़े-बड़े लोग चाहते थे कि हमें कोई नेता कहे, आज गाली का रूप धारण कर रहा है । समाज में यदि किसी को नेता कह दो तो वह स्वयं को अपमानित महसूस करेगा | आजकल नेता का अर्थ लगाया जाता है जो दादागिरी दिखाते हैं या कोरी भाषणबाजी करते हैं । दीप बनें देहरी के/१४३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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