Book Title: Jivan Vigyan
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 9
________________ सकती है। प्रस्तुत पुस्तक में जीवन विज्ञान शिक्षा और समाज के संदर्भ में चर्चित है। व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए इस चर्चा की उपयोगिता बुद्धिगम्य होगी। आचार्यश्री की अन्तःस्थ प्रेरणा, अणुव्रत और नैतिकता के व्यापक विकास की अभीप्सा इसमें परिलक्षित है। मुनि दुलहराजजी की श्रमनिष्ठा और सहज स्फूर्ति ने इसे पुस्तक का रूप दिया। ‘सा विद्या या विमुक्तये' का सूत्र विमुक्ति का नया भाष्य प्रस्तुत कर सकेगा, ऐसा मेरा संकल्प है। खरनोटा युवाचार्य महाप्रज्ञ २८ अप्रैल १६८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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