Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ दसवेलियसुते सत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएां । तेउ चित्तमन्तमक्खाया अणेगजीवा पुढेासत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणए । वाउ चित्तमन्तमक्खाया अणेगजीवा पुढेासत्ता अन्नत्थ सत्यपरिणं । वसई चित्तमन्तमक्खाया अरोगजीचा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्यपरिणणं तं जहा - अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया, खन्धबीया, बीयरुहा, संमुच्छिमा, तणलया, वर्णस्सइकाइया सबीया चित्तमन्तमक्खाया अणेगजीवा पुढेासत्ता अन्नत्थ सत्यपरिणri || अज्झयण ४ से जे पुस इमे अगे बहवे तसा पारणा तं जहा - अण्डया पोयया जराउया रसया संसेइमा संमुच्छिमा उब्भिया उववाइया; जेसि केसिंचि पाणारां अभिक्कन्तं पडिक्कन्तं संकुचियं पसारियं रुयं भतं तसियं पलाइयं आगइगइविन्नाया जे य कीडगा जाय कुन्थुपिवीलिया सव्वे बेइं दिया सव्वे तेइंदिया सव्वे चउरिंदिया सच्चे पंचिंदिया सव्वे तिरिक्खजोणिया सव्वे नेरइया सव्वे मणुया सब्वे देवा सव्वे पाणा परमाहम्मिया । सो खलु छट्टो जीवनिकाश्रो "तसकाउ" त्ति पवुश्चइ ॥ इच्चेसिं हं जीवनिकायाणं नेव सयं दंडं समारंभिज्जा, नेवन्नेहिं दंडं समारंभाविज्जा, दंडं समारम्भन्ते वि अन्ने न 'समगुजाणामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेां मां वायाए कारणं न करेमि न कारवेम करन्तंपि अन्नं न समजाणामि तस्स भन्ते ! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पा वोसिरामि । पढमे भंते ! महत्वए पाणाइवायाओ वेरमणं । सव्वं भंते! पाणाइवायं पच्चक्खामि, से सुहुमं वा बायरं वा तसं वा थावरं वा नेव सयं पाणे श्रइवापज्जा, नेवन्नेहिं पाणे अहवा१. समयुजाणिज्जा ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 368