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आपका स्वास्थ्य आपके हाथ
ब्रह्मचारी अरुण १. प्रात:काल नींद खुलते ही अपनी दोनों हथेलियों / तेल की मालिश यदि शनिवार को की जाये तो अत्यधिक को मिलाकर अंगुलियों में २४ तीर्थंकर भगवान् का ध्यान | लाभ प्राप्त होता है। करें, एवं सिद्ध परमेष्ठी भगवान् को याद करें। दोनों हाथों को ९. भोजन के बाद हाथों को धोकर आपस में रगड़कर आपस में घर्षण करके चेहरे का स्पर्श करें, सम्पूर्ण त्वचा का आँखों का स्पर्श ६-७ बार करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है एवं स्पर्श करें एवं जिस किसी भाग में दर्द हो उसे, हाथों को पुनः आँखों की बीमारी से बचाव होता है। घर्षण कर, ३-४ बार स्पर्श करें। कुछ दिनों के प्रयोग से दर्द १०. वज्रासन में बैठकर सिर में हाथ फेरने या बालों ठीक होगा। पैर के पंजे को आपस में घर्षण करें। हाथ पैर की कंघी करने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं । याददाश्त का घर्षण व स्पर्श करने से बहुत सी ऊर्जा जो शरीर से बाहर | भी बढ़ती है। जाती है, शरीर को प्राप्त हो जाती है।
११. बालों को नींबू पानी या आँवला पानी से धोने २. मुद्रा विज्ञान : दोनों हाथों के अंगूठे एवं प्रथम | पर बाल मुलायम व काले रहते हैं। बालों का झड़ना बंद अंगुली के अनुभाग का स्पर्श करके कुछ देर रखने से | होकर बाल घने व चमकदार होते हैं। मस्तिष्क में पिच्युटरी ग्रंथि सक्रिय हो जाती है। जिससे सिर १२. शौच व लघु शंका के समय दाँतों को बंद रखने दर्द, तनाव याददाश्त कम होना जैसी बीमारी में लाभ प्राप्त | से व मौन रहने से दाँतों संबंधी बीमारियों से सुरक्षा होती है। होता है व बुद्धि का विकास होता है।
१३. लघुशंका से निवृत्त होने के बाद पानी पीने से ३. हाथों की प्रथम अंगुली के अग्रभाग को अंगूठे | घुटने, कमर दर्द, जोड़ के दर्द में लाभ मिलता है अथवा की अंतिम रेखा से लगायें एवं अंगूठे के अग्रभाग को द्वितीय जोड़ का दर्द आता ही नहीं है। व तृतीय अंगुली के अग्रभाग से स्पर्श करने से हृदय मुद्रा १४. शौच से आने के बाद एवं वमन के तुरंत बाद बनती है, जो कि हृदय संबंधी बीमारियों से सुरक्षा करती है। पानी नहीं पीना चाहिये अन्यथा आँतों में सूजन आती है। इस मुद्रा से ऊर्ध्व वायु में भी लाभ मिलता है। दिल का दौरा १५. दिन में प्रमाद, आलस्य नींद कम करने एवं रोकने में यह इंजेक्शन की तरह काम करता है नियमित पाचन तंत्र ठीक रखने के लिये भोजन के बाद ८ श्वासोच्छवास अभ्यास से हृदय रोग ठीक हो सकता है।
बाँयी करवट, १६ श्वासोच्छवास सीधे लेटना व ३२ ४. हृदय मुद्रा के साथ उच्च रक्त दाब की स्थिति में | श्वासोच्छवास दाँयी करवट लेटना चाहिये। 'ॐ शांति' मंत्र का उच्चारण ४-५ मिनट सुबह-शाम कुछ १६. कब्ज, गैस्ट्रिक, अजीर्ण जैसी बीमारी ठीक दिन लगातार करने से लाभ मिलता है।
करने के लिए दाहिने स्वर के चलते हुए भोजन करें व ५. निम्न रक्त दाब की स्थिति में 'ऊँ' मंत्र का उच्चारण | भोजन के १ घंटे बाद तक दाहिना स्वर चालू रखें। मात्र ३-४ मिनट सुबह शाम कुछ दिन करने से लाभ प्राप्त । १७. पैर की एड़ी को पत्थर पर रगड़कर साफ करने होगा।
से कब्ज की बीमारी ठीक होती है। ६. भोजन के बाद १०-१५ मिनट वज्रासन में बैठने | १८. पैर के तलवे स्वच्छ रहने से यशकीर्ति में वृद्धि पर गैस्ट्रिक, कब्ज व पाचन तंत्र की बीमारियों में लाभ प्राप्त होती है व स्वस्थ्यता प्राप्त होती है। होता है व शरीर स्वस्थ रहता है।
१९. खाली पेट पानी पीने से शरीर का वजन कम ७. अपने दाहिने हाथ के पंजे से ८ अंगुल छोड़कर | होता है। भोजन के बीच में व अंत में ज्यादा पानी पीने से प्रात: काल १ मिनट दूसरे हाथ के अंगूठे से दबाने से जीवनी | पाचन तंत्र कमजोर होता है। भोजन के १ घंटे बाद पानी पीने शक्ति बढ़ती है। शरीर में जल्दी बुढ़ापे के लक्षण प्रकट नहीं | से पौष्टिक होता है। होते हैं।
२०. शीत ऋतु में हरे वृक्षों पर पड़ने वाली ओस को ८. अपने दाहिने हाथ से बाएँ पैर के पंजे एवं बाएँ सफेद सूती कपड़े में सोखकर चेहरा पोंछने से चेहरे की हाथ से दाहिने पैर के पंजे की मालिश करने से शरीर के रोग | फुसियाँ दाग ठीक होकर चेहरा गुलाब फूल जैसा खिल निकल जाते हैं व घटने, कमर दर्द में भी आराम मिलता है।। जाएगा।
कटंगी (म.प्र.)
नवम्बर 2005 जिनभाषित 25 For Private & Personal Use Only
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