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श्रावक संस्कार शिविर भीण्डर (राज.)
परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज के परमशिष्य आध्यात्मिक संत, तीर्थोद्धारक, वास्तुविज्ञ, मुनिपुंगव १०८ श्री सुधासागरजी महाराज ससंघ का पावन वर्षायोग ध्यानडूंगरी के विशाल परिसर में, सकल दि. जैन समाज, भीण्डर के विशेष अनुरोध पर एवं दानशील, परमगुरुभक्त श्रेष्ठि श्री बंसीलालजी भंवरलालजी पचोरी परिवार मोनिका मेमोरियल ट्रस्ट के पुर्ण्याजकत्व में पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व के शुभ पावन प्रसंग पर दिनांक ८ सितम्बर २००५ से दिनांक १७ सितम्बर २००५ तक विशाल स्तर पर 'श्रावक संस्कार शिविर' आयोजित किया गया।
समाचार
गुरुकुल प्राचीन परम्परा पर पूर्णतः आधारित पद्धति अनुसार इस संस्कार शिविर में परमपूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने सप्तशताधिक शिविरार्थियों को सुसंस्कारित किया, जीवन जीने की कला सिखाई । ६५३ शिविरार्थी पाँच ग्रुप में विभाजित थे । प्रातः चार बजे से रात्रि १० बजे तक सभी शिविरार्थी पूर्ण समयानुसार - नियमानुसार पाबंद हो गये थे। घर-परिवार एवं व्यवसाय आदि की चिन्ताओं से पूर्णतः मुक्त होकर धर्मध्यान- धार्मिक शिक्षण में समय व्यतीत कर रहे थे
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दिनांक १६ सितम्बर २००५ को लिखित परीक्षा हुई । कक्षा में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले शिविरार्थियों को पुरस्कृत किया गया। शिविर में ४३ शिविरार्थियों ने १० दिन दस उपवास किये, उन्हें भी समिति ने एक विशेष पुरस्कार देकर सम्मानित किया ।
इस प्रकार के इस अनूठे, आदर्श, अनुकरणीय, अनुष्ठान में जिन-जिन व्यक्तियों ने भाग लिया, सम्मिलित हुए, परम आध्यात्मिक धार्मिक शिक्षण अर्जित किया निश्चित ही अभीभूत हो गये, धन्य हो गये ।
श्रावक संस्कार शिविर की श्रृंखला में परम दयालु गुरु मुनिपुंगव १०८ श्री सुधासागर जी महाराज ने सहस्त्रों जिज्ञासु श्रावकों को संस्कारित कर धर्ममय जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त किया है, आदर्श है, अनुकरणीय है, स्तुत्य है। ऐसे निर्ग्रन्थ गुरु का जितना भी गुणगान किया जाये, कम है। भागचन्द पाटनी निर्देशक - श्रावक संस्कार शिविर, भीण्डर
30 नवम्बर 2005 जिनभाषित
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हजारीबाग में शताब्दी समारोह धूमधाम से सम्पन्न
हजारीबाग, संतशिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परमप्रभावक शिष्य मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में ६ से १४ अक्टूबर २००५ तक श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर का शताब्दी समारोह 'कल्पद्रुम महामण्डल विधान' के साथ धूमधाम से सम्पन्न हुआ । समस्त विधि-विधान बाल ब्रह्मचारी श्री प्रदीप जी, अशोकनगर के निर्देशन में सम्पन्न हुए । संघस्थ त्यागीवृन्द क्षु. श्री सम्यक्सागर जी, ब्र. शान्तिकुमार जी, ब्र. अन्नूजी एवं ब्र. रोहित जी का भी सान्निध्य प्राप्त हुआ ।
पूरी समाज का पिछले चार वर्षों से प्रयास एवं संकल्प था कि जब मुनिश्री हजारीबाग पधारेंगे तभी शताब्दी समारोह मनाया जायेगा। नौ दिन तक सम्पन्न होने वाले इस महाआयोजन का शुभारम्भ मध्यप्रदेश सरकार के वित्तमंत्री माननीय श्री राघवजी द्वारा हुआ। कार्यक्रम का ध्वजारोहण परमपूज्य मुनिश्री के गृहस्थ जीवन के माता-पिता श्री सुरेन्द्रकुमारजी एवं सोहनीदेवी के कर कमलों से हुआ। कटनी के श्री विजयकुमार जी के द्वारा निर्मित समवशरण सबके आकर्षण का केन्द्र रहा ।
इस पावन पुनीत अवसर पर परमपूज्य मुनिश्री की नई कृति 'पाठ पढ़े नवजीवन का' विमोचित हुयी । कृति का विमोचन श्री अशोकजी पाटनी, आर. के. मार्बल, किशनगढ़ द्वारा किया गया। इसी अवसर पर दयोदय म्यूजिकल ग्रुप टीकमगढ़ द्वारा पूज्य मुनिश्री पर आधारित 'अलबेला संत' नाम की कैसेट लोकार्पित की गई।
जिस मन्दिर का शताब्दी समारोह मनाया गया उसमें विराजमान मूलनायक श्री १००८ पार्श्वनाथ भगवान् का महामस्तकाभिषेक बड़े धर्ममय वातावरण में हुआ। इस शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में हजारीबाग जैन समाज द्वारा एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। जिसमें श्री निर्मलजी गंगवाल एवं साथियों के अथक परिश्रम से हजारीबाग में बीते १०० वर्षों की गतिविधियों के साथ मुनिश्री के जन्म से लेकर अब तक के चित्रों की झांकी सभी के आकर्षण का केन्द्र बनी रही ।
आयोजन समिति ने सांगली जिला में बाढ़ से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए एक लाख ग्यारह हजार का चेक श्री जीवनदादा पाटील को दिया साथ ही जीव दया हेतु देश भर की गौशालाओं के लिए दो लाख ग्यारह हजार का दान
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