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प्रभु,
तुम मुझसे कह दो
कि तुम मुझसे खुश नहीं हो ।
तुम्हारी नाराजी से डर कर शायद मैं सुधर जाऊँ।
मैं तुम
बहुत आश्रित होता जा रहा हूँ
अकर्मण्यता की सीमा तक । तुम मुझसे साफ-साफ कह दो
कि तुम मेरी सहायता बिल्कुल नहीं करोगे ।
तुम मेरे साथ हो
मुझे कैसी भी विपदा से बचा लोगे
मेरा यह विश्वास
खतरनाक है,
यह मुझे कमजोर बनाता है और विधर्मी भी ।
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साफ साफ कह दो
प्रभु,
तुम मुझे दृढ़ता से बता दो
कि जैसा मैं करूँगा
वैसा ही भरूँगा ।
तुम मेरे
कवच और कमाण्डो नहीं हो, अपनी रक्षा का दायित्व
एक मात्र मुझ पर है ।
कह दो प्रभु,
साफ-साफ कह दो ।
• सरोज कुमार
कुछ ऐसी
निर्मम शैली में कह दो
कि मैं विश्वास कर सकूँ
कि सारे संसार का स्वामी विपत्ति में भी
मेरे किसी काम का नहीं है ।
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'मनोरम', ३७, पत्रकार कालोनी, इन्दौर - ४५२०१८
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