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दिया गया।
| क्रियाशीलता युवा होने की मूल पहचान है। युवा शब्द को
पलटने पर वायु बनता है। वायु का अर्थ है जो सतत् गतिशील अखिल भारतीय जैन युवा सम्मेलन सम्पन्न रहे। समाज में परिवर्तन लाना चाहते हो तो पहले स्वयं में - हजारीबाग में सम्पन्न शताब्दी समारोह के महाआयोजन | परिवर्तन लाओ।' के बीच में १२-१३ अक्टूबर को 'अखिल भारतीय जैन युवा | इस युवासम्मेलन में श्री सुभाष जैन आई.ए.एस. सम्मेलन' एवं अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। भोपाल ने 'हजारीबाग-घोषणा' के तहत एक प्रस्ताव पढ़ा, इस युवासम्मेलन में तीन हजार से भी अधिक युवाओं ने | जिसमें राष्ट्रीय स्तर का संगठन 'राष्ट्रीय दिगम्बर जैन युवा अपनी भागीदारी दिखा यह साबित कर दिया कि धर्म एवं | महासंघ' का गठन किया । उपस्थित जन समुदाय एवं युवाओं संस्कृति को बचाने में हमारा क्या उपयोग है। इस अवसर | ने हाथ उठाकर हाँ से अपनी सहमति प्रकट कर इस प्रस्ताव पर प्रसिद्ध उद्योगपति श्री अशोकजी पाटनी,आर.के.मार्बल को पारित किया। इसके पश्चात् युवा प्रतिनिधियों ने चार किशनगढ.पं.श्री मलचन्द जी लहाडिया किशनगढ.श्री प्रस्ताव और पढ़े। पहला, 'गिरनार की रक्षा के लिए ।' मदनलाल जी बैनाड़ा आगरा, दि.जैन महासभा के अध्यक्ष | दूसरा, 'व्यसन मुक्ति अभियान हेतु।' तीसरा, 'आपसी श्री निर्मलकुमार जी सेठी, श्री पुष्पराजजी शाह | समन्वय एवं सौहार्द' तथा चौथा, 'धार्मिक अल्पसंख्यक कन्नौज,श्रीजीवनदादा पाटिल महाराष्ट्र,श्री हृदयमोहन जैन | समुदाय का दर्जा' से संबंधित थे। विदिशा, श्री सुभाष जैन आई.ए.एस. भोपाल सहित अनेक
निर्मल जैन टोंग्या गणमान्य लोग उपस्थित थे। .
संयोजक- अखिल भारतीय जैन युवा सम्मेलन इस अवसर पर मुनि श्री कहा कि, 'धर्म और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं, धर्म समाज को अनुशासित करता है कोलकाता में पंचकल्याणक महोत्सव तो समाज धर्म को संरक्षण प्रदान करता है। समाज की
कोलकाता के काकुड़गाछी अंचल में स्थित श्री दि. सर्वोन्मुखी उन्नति तीन स्तर पर विचार करने से ही संभव | जैन मंदिर जी' श्री जिनबिम्ब पंचकल्याणक महोत्सव' दिनांक है। पहला, सामाजिक संगठन। दूसरा, पारस्परिक सहयोग | २३ नवम्बर से २८ नवम्बर २००५ तक, इसी अंचल में एवं तीसरा सबको समादर। युवावर्ग एकजुट होकर रहे। जो
स्थित साल्टलेक स्टेडियम के प्रांगण में मनाया जायेगा। आपस में लड़ते हैं वे आफत में पड़ते हैं। सितार में जिसतरह
अतिथियों के लिए आवास एवं भोजन की समुचित सात तारे होते हए भी आन्तरिक सामन्जस्य होने से मधुर | व्यवस्था रहेगी। सभी साधर्मी भाइयों से पंचकल्याणक महोत्सव संगीत उत्पन्न होता है, ठीक उसी तरह समाज के विभिन्न |
में उपस्थित होने का आग्रह है। घटक अलग-अलग रहकर भी सामन्जस्य की भावना रखें
अनिल सेठी तो उन्नति की ओर कदम होंगे। युवाओं को संस्कारित और
प्रचार विभाग-श्री शांतिनाथ दि.जैन पंचकल्याणक समिति संगठित कर धर्म, समाज और तीर्थों की रक्षा में लगाना ही इस युवा सम्मेलन का मूल उद्देश्य है।'
'जैनतिथिदर्पण' निःशुल्क उपलब्ध मुनिश्री ने 'गिरनार समस्या' एवं 'श्री सम्मेदशिखर
जैन एवं जैनेतर मान्यता में उदय तिथि एवं तिथिकाल पर फैलती अराजकता' पर विस्तृत विचार व्यक्त करते हुए को लेकर कछ भिन्नता है। जैनेतर बंधु सूर्योदय काल में कहा कि, "समाज यदि अभी नहीं चेती तो भविष्य बडा
प' | वर्तमान तिथि को पूर्ण दिवस की तिथि मानकर व्रत व पर्व भयावह होगा। एक झोपड़ी द्वारा एक पेड़ की हत्याकर |
| हेतु मान्य करते हैं, जबकि जैन मान्यता में कम से कम ६ पर्यावरण को गहरा आघात हो रहा है। तीर्थराज की वन्दना
घड़ी उदय तिथि को पर्व एवं व्रत हेतु स्वीकारते हैं। करते समय ऊपर पहाड़ पर कुछ भी नहीं खरीदेंगे।' मुनिश्री
पं. नाथलालजी शास्त्री द्वारा निर्मित जैनतिथिदर्पण. ने सभी युवकों को मद्य-पान त्याग का संकल्प कराया। ।
जो इन्दौर स्थित कार्यालय पर एवं पं. नाथलालजी शास्त्री के कार्यक्रम के दूसरे दिन मुख्यअतिथि श्री अशोकजी |
निवास मोतीमहल सर हुकुमचन्द मार्ग से तथा लश्करी मंदिर पाटनी,आर.के.मार्बल ने कहा कि, 'मुनिश्री द्वारा युवाओं
गोराकुण्ड पर श्री विमलचन्दजी कानूगो से भी प्राप्त किये जा को एकजुट करने की यह पहल समाज के लिए मील का
सकते हैं, जो निःशुल्क उपलब्ध हैं। तीन तिथि दर्पण मंगाने पत्थर साबित होगी।' मुनिश्री ने कहा कि, 'सृजनशीलता एवं
हेतु बुक पोस्ट पर ४/- का डाक व्यय लगता है, जो डाक
नवम्बर 2005 जिनभाषित 31
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