Book Title: Jinabhashita 2005 08
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 30
________________ आचार्य मेरूभूषण जी का राजनेताओं को पत्र श्री मनमोहनसिंहजी प्रधानमंत्री फेक्स 011230-19334 श्रीमती सोनियागाँधी अध्यक्ष सप्रग फेक्स 011230-117824 श्रीमती मीरा कुमार समाज कल्याणमंत्री फेक्स श्रीशिवराज पाटिल गृह मंत्री फेक्स 23094221 श्री जयपाल रेड्डी सांस्कृतिक सूचना मंत्री फेक्स 01124369179 विषयः जैनों के सिद्ध क्षेद्ध गिरनारजी गुजरात पर चौथी पांचवी टोंक पर दत्तात्रय समर्थक असामाजिक पन्डों द्वारा अवैध कब्जे को नियमित कराने के उद्देश्य से गिरनार दत्तात्रय द्वार का सरकारी जगह में अवैध निर्माण गुजरात सरकार के इशारे पर जिलाधिकारी जूनागढ़ द्वारा उद्घाटन तथा तीसरी टोंक पर जैन धर्म के भगवान शम्भुकुमार के चरणों के समीप अवैध रूप से रखी गई गोरखनाथ एवं गुरूरामदेव पीर की मूर्ति । इसके विरोध में दिनांक 25 अक्टूबर 2004 से अन्न का त्याग दिनांक 12 जुलाई 2005 के स्थान पर दिनांक 26 जुलाई 2005 से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन। उपसर्ग सल्लेखना समाधिमरण इन्दौर में। महोदय, नवीन घटनाओं को दष्टिगत रखते हये भारत सरकार को कार्यवाही करने हेत समचित समय देते हये दिनांक 12 जलाई 2005 के बजाए दिनांक 26 जलाई 2005 को 9 बजे इन्दौर में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन/उपसर्ग सल्लेखना समाधिमरण पर बैलूंगा। यदि भारत सरकार ने समुचित सकारात्मक कदम नहीं उठाये और उन कदमों की सूचना मुझे एवं जैन समाज को नहीं दी। अभी हाल के बने कानून के अनुसार सरकार सूचना 1. गिरनार/दत्तात्रय द्वार को गिराया जाये, यह सरकारी भूमि पर अवैध अतिक्रमण को नियमित करने के उद्देश्य से किया गया अतिक्रमण है। 2. तीसरी टोंक पर विराजमान की गई गोरखनाथ एवं गुरु रामदेव की मूर्ति हटाई जाये, जैनसमाज के क्षेत्रों पर किया गया अतिक्रमण है। 3. जैनधर्म को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित किया जाये जब इस्लाम, बौद्ध, सिक्ख, पारसी राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित हो सकते हैं तो जैनधर्म क्यों नहीं? माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी आदेश दे चुका है। उस पर टीका टिप्पणी कर लटकाये रखना न्यायालय की अवमानना है तथा जैनधर्म के तीर्थ क्षेत्रों की रक्षा का भार केन्द्र सरकार उठाये चाहे इसके लिये संविधान में संशोधन करना पड़े तो भारत सरकार संविधान में संशोधन करे। स्वतंत्र भारत में सबसे ज्यादा जैन समाज के धार्मिक क्षेत्रों पर अतिक्रमण हुआ है क्योंकि हम अहिंसा के पुजारी हैं, और संख्या बल में कम हैं फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक नहीं? मेरे मांग पत्र दिनांक 25 अक्टूबर, 8 नवम्बर एवं 13 दिसम्बर 2004 पर भारत सरकार के महाधिवक्ता की राय लेकर जिन मांगों पर महाधिवक्ता कार्यवाही करने का परामर्श दे उन मांगों पर भारत सरकार आदेश पारित करें। 4. निम्न बिन्दुओं की जांच एक सप्ताह में सी.बी.आई. से कराकर अपराधी के विरुद्ध कार्यवाही की जाये। (क) जैन समाज ने कोई मूर्ति तीसरी टोंक से नहीं उठाई, बल्कि जैन समाज को बदनाम करने हेतु स्वयं ने उठाई। इसकी सी.बी.आई. से जांच कराई जाये। 28 अगस्त 2005 जिनभाषित - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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