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प्राकृतिक चिकित्सा
क्या आप जानते हैं?
डॉ. वन्दना जैन व्यक्ति का शरीर नीरोग होने के साथ उसका मन, मस्तिष्क | फिर भी मुख्य रूप से प्राकृतिक चिकित्सा पाचन तंत्र के रोगों और आत्मा भी स्वस्थ और उन्नत हो तभी तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य की | गठिया, दमा, हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह, अनिद्रा, उच्चरक्त चाप, अवस्था होती है। प्राकृतिक जीवन के नियमों के अनुसार रहन- | मानसिक तनाव, जुकाम, खांसी, चर्म रोगों तथा जीवन शैली से सहन, खान-पान तथा दिनचर्या रखने से व्यक्ति स्वयं ही स्वाभाविक | सम्बधित रोगों में उल्लेखनीय लाभ पहुँचाती है। रूप से पूर्ण स्वस्थ रहता है तथा प्रकृति के नियमों के विरूद्ध होने (2) प्राकृतिक चिकित्सा में रोगों का इलाज कैसे पर ही सभी प्रकार के रोग कष्ट तथा समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। | होता है?
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली अपने आप में प्रकृति का प्राकृतिक चिकित्सा में रोगों के इलाज का तरीका बिल्कुल विज्ञान है इस विज्ञान में प्रकृति के नियमों द्वारा अस्वस्थ व्यक्ति आसान है। दरअसल प्राकृतिक चिकित्सा केवल उपचार पद्धति स्वस्थ हो सकता है और स्वस्थ रह सकता है।
ही नहीं बल्कि जीवन जीने का विज्ञान है। यह हमें रोगों से मुक्त आज ज्यादातर लोग इंजेक्शनों और जहरीली दवाओं के | तो करती ही है, यह भी बताती है कि आगे भी रोगों से कैसे बचे शिकार हैं, आदी हो गये हैं। इन इलाजों से तुरंत ठीक होने का | रहें। प्राकृतिक चिकित्सा के इलाज के साधनों में मिट्टि की पट्टी, चमत्कार दिखता है। अत: सामान्य लोग इस ओर आकर्षित होते | एनिमा, गरम ठंडा सेंक, कटि टॉनिक्स, वाष्प स्नान, उष्णपाद हैं, किंतु अब इनके पार्श्व प्रभाव सामने आने से इस चमत्कार की स्नान, धूप स्नान, रीढ़ स्नान, सर्वांग मिट्टि लेप तथा तरह-तरह की असलियत सामने आने लगी है।
लपेटें आदि हैं। इन जहरीली दवा से बीमारी दवा दी जाती है एक बीमारी (3) प्राकृतिक चिकित्सा के साइट इफेक्ट क्या है ? का दवना और दूसरी का निर्माण होना, इसी चक्र में रोगी फँस प्राकृतिक चिकित्सा के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, क्योंकि जाता है।
यह औषधि रहित चिकित्सा प्रणाली है इसमें रोगी के शरीर में कोई नहीं - बार-बार बीमार होना।
किसी प्रकार के टॉनिक्स या दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता चाहता - अस्पतालों के चक्कर काटना।
है। अत: किसी प्रकार के विपरीत प्रभाव की संभावना नहीं रहती - घंटो लाइन में लगना।
है इसलिये यह चिकित्सा सभी के लिये पूर्ण सुरक्षित है। - शारीरिक व मानसिक परेशानियों से त्रस्त
(4)क्या प्राकृतिक चिकित्सा में रोगी को भूखा रखते रहना। हर व्यक्ति - नित्य स्वस्थ रहना।
वास्तव में ऐसा नहीं है प्राकृतिक चिकित्सा में रोगी को चाहता है - इंजेक्शन, ऑपरेशन आदि से बचना। भूखा न रखकर उसे ताजे फल, हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज,
- एंटीवायोटिक जैसी जहरीली दवाओं से फलों के रस एवं सब्जियों के सूप आदि पर रखा जाता है क्योंकि बचना।
इस प्रकार का आहार शरीर से बीमारियों को बाहर निकालने में - पैसा और समय की बरवादी से बचना। प्रकृति की मदद करता है। आवश्यकतानुसार रोगी को उबली प्राकृतिक - रोग को जड़ से मिटाने का उपचार। सब्जियाँ, दलिया, सलाद एवं चोकर सहित आटे की रोटी भी दी चिकित्सा में है - रोग प्रतिबंधन का उपचार।
जाती है, हाँ यह जरूर है कि प्राकृतिक आहार में तेल मसालों का - स्वालंबन और अहिंसा का विवेक। प्रयोग कम से कम किया जाता है। - रोगी को स्वयं चिकित्सिक एवं योग्य बनने (5) क्या प्राकृतिक उपचार में बहुत समय लगता है? के संस्कार :
ऐसा नहीं है एक रोगी जो दस साल से किसी रोग से इस लेख में प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में गहराई। पीड़ित है, यदि उसे एक महीने में प्राकृतिक उपचार से आराम से जानने की तथा सामान्य जन के मन में उठने वाले सवालों का मिल जाता है तो यह समय अधिक कहाँ हुआ? रोग की जीर्णता हल करने की कोशिश की जा रही है।
पर ही उपचार का समय निर्भर करता है। (1) प्राकृतिक चिकित्सा से कौन-कौन सी बीमारियाँ | (6) क्या प्राकृतिक उपचार बहुत कठिन है? ठीक हो सकती हैं?
1 नहीं बिल्कुल नहीं प्राकृतिक चिकित्सा तो इतनी सरल है इससे ठीक होने वाली बीमारियों की सूची तो बड़ी है । कि आप इसे अच्छी तरह से सीखकर घर पर भी इसका प्रयोग 18 नवम्बर 2003 जिनभाषित
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