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समाचार भावभीना प्रतिभा सम्मान
सागर जी एवं मुनिश्री क्षमासागर जी ने अपने हृदयस्पर्शी प्रवचनों
में सम्मानित प्रतिभाओं को शुभाशीष देकर उनके उज्जवल भविष्य 'आज के युग में मोक्ष की प्राप्ति असंभव है, लेकिन हम
की कामना की। मुनिश्री क्षमासागर जी ने प्रतिभाओं से कहा कि सब मोक्ष पर चलने की तैयारी अवश्य कर सकते हैं। इसकी
इस समय आपका सबसे बड़ा दायित्व मन लगाकर पढ़ाई करना शुरूआत घर पर रहकर पारिवारिक जिम्मेदारियाँ निभाते हुए भी
है। साथ ही माता-पिता, परिवार और समाज के प्रति भी अपने हो सकती है।' यह सम्बोधन विद्वान जैन मुनिश्री क्षमासागर जी ने
दायित्व को निभाते हुए अपने सोचे हुए उद्देश्य तक पहुँचने का मैत्री समूह के तत्वावधान में रामगंजमण्डी में संपन्न यंग जैना
सतत प्रयास करें। आज आप सब शरीर से अवश्य विदा हो रहे हैं अवार्ड ०३ के मुख्य समारोह में उपस्थित प्रतिभाओं एवं आगन्तुकों
पर हृदय से कभी विदा नहीं होंगे। अन्त में मुनिश्री के प्रवचन तो को दिया। मुनिश्री के प्रवचनों में प्रतिभाओं के भविष्य को संवारने
इतने मार्मिक हो गए थे कि पाण्डाल में मौजूद विशाल जनसमुदाय की गहरी कशिश और कोशिश शिद्दत से झलक रही थी। इस
के भाव विह्वल होकर अश्रु बह निकले। ५ अक्टूबर के मुख्य प्रसंग पर मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता जैन आई.आई.टी. दिल्ली ने भी
प्रतिभा सम्मान समारोह के पहले सुबह ७ बजे से आयोजित सभा अपना सारगर्भित उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में म.प्र. के पूर्व मंत्री
में मुनिश्री क्षमासागर जी एवं मुनिश्री भव्यसागर जी के सारगर्भित एवं गीतकार श्री विट्ठल भाई पटेल, भारत सरकार के सचिव श्री
प्रवचन हुए। इस प्रसंग पर पूर्व मंत्री एवं प्रसिद्ध गीतकार श्री कमलकांत जैसवाल, उद्योगपति श्री पी. एल. बैनाड़ा आगरा,
विट्ठल भाई पटेल सागर ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में ऐसे सम्मान आई.ए.एस. श्री नरेश सेठी, अर्थशास्त्री श्री जयन्ती लाल भण्डारी,
समारोह प्रतिभाओं की प्रगति के लिए अत्यन्त सार्थक बताए। इंजी. वाई. के.जैन एवं श्री अशोक जैन सी.ए. सहित अनेक
प्रारम्भ में भोपाल के गौरव सोगानी ने अपने सुमधुर मंगलाचरण से विद्वान विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।
वातावरण भक्तिमय कर दिया। समारोह के पहले दिन ४ अक्टूबर प्रसिद्ध व्यावसायिक नगरी रामगंजमण्डी (राजस्थान) में
के कार्यक्रम में पूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी ने अपने प्रवचन में ४ और ५ अक्टूबर को देश के विभिन्न प्रांतों से आई प्रतिभाओं का
कहा कि शिक्षा का अर्थ है- परस्पर स्नेह के साथ जीना और अपने अद्भुत समागम देखने को मिला। पूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी एवं
जीवन का सर्वोच्च मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक एवं मुनिश्री भव्य सागर जी के मंगल सान्निध्य में दो दिन तक देश की
आध्यात्मिक विकास करना। इसी तरह बौद्धिक विकास से आशय जैन प्रतिभाओं को जो मान, सम्मान और मार्गदर्शन मिला, उसमें
सेल्फ कॉन्फीडेन्स यानि आत्मविश्वास से है, अतिविश्वास से प्रतिभाएँ तथा उनके परिजन अभिभूत हो उठे। 5 अक्टूबर को जब
नहीं। इस अवसर पर मुनिश्री की प्रेरणा से अनेक प्रतिभाओं ने कृषि उपज मण्डी के विशाल परिसर में दोपहर 1 बजे अपने
रात्रि भोजन त्यागने एवं नियमित रूप से मंदिर जाने का संकल्प अपने क्षेत्र के विशिष्ट प्रतिभाओं के भाव भी ने सम्मान का सिलसिला
लिया। प्रवचन के पूर्व मिनी जैन ने मधुर मंगलाचरण प्रस्तुत यंग आर्केस्ट्रा की मधुर धुनों के साथ हुआ तो सारा वातावरण
किया। संचालन का दायित्व श्री राजेश बड़कुल छतरपुर ने निभाया। खुशगवार हो उठा। संचालन की कमान संभाले प्रख्यात कवि प्रो.
प्रतिभाओं ने धोती-दुपट्टा धारण कर पूज्य मुनिश्री को सरोज कुमार की उद्घोषणा के साथ ही यंग आर्केस्ट्रा झांसी के
पंक्तिबद्ध होकर आहार देने का अनूठा अनुभव तथा पुण्य भी कलाकारों ने संगीतमयी मंगलाचरण प्रस्तुत कर सम्मान समारोह
अर्जित किया। इस अवसर पर दोपहर के सत्र में मौजूद प्रतिभाओं का उम्दा आगाज किया। मुख्य अतिथि प्रो. सुनीता जैन ने देश के
को उनके विषय एवं रूचि के अनुरूप जानेमाने विद्वानों डॉ. कोने-कोने से आई ८०० से ज्यादा प्रतिभाओं को सुन्दर प्रतीक
जयंती लाल भण्डारी, इंजी.पी.एल. बैनाडा, इंजी. बाई.के.जैन, चिन्ह, गोल्ड मैडल, प्रशस्ति पत्र एवं पुस्तकों से वात्सल्यपूर्वक
प्रो. सरोज कुमार, इंजी. एस.एल. जैन एवं डॉ. मनीष जैन आदि ने सम्मानित कर अपना शुभाशीष दिया। उन्होंने प्रतिभाओं से कहा
उपयोगी मार्गदर्शन दिया। सायंकालीन सत्र में डॉ. जयन्ती लाल कि 'आज एक माता-पिता अपने कई बच्चों को अच्छे से पाल
भण्डारी ने प्रतिभाओं की कैरियर संबंधी जिज्ञासाओं तथा प्रश्नों लेते हैं लेकिन इतने सारे बच्चे एक माता-पिता को पालने में
का समाधान अत्यन्त कुशलतापूर्वक करते हुए समारोह को और कठिनाई महसूस करते हैं। आप अपने आप को कितना भी ऊँचा
भी सार्थक बना दिया। इस भव्य प्रतिभा सम्मान समारोह में मैत्री उठा लें, पर कभी अपने माता-पिता को न भूलें। परिवार के
समूह की कर्मठ कार्यकर्ता डॉ. कु. निशा जैन और उनके उत्साही मुखिया को चाहिए कि वह अपनी संपत्ति का एक हिस्सा अपनी
सहयोगियों ने व्यवस्थाओं को बखूबी अंजाम दिया। पत्नी के नाम अवश्य करें। केवल पुत्रों में न बांटे, जिससे भविष्य
उल्लेखनीय है कि मुनिश्री क्षमासागर जी की प्रेरणा से वर्ष में पति के न रहने पर पत्नी सम्मानित जीवन जी सके।'
२००१ में मध्य प्रदेश के शिवपुरी नगर में शुरु हुआ यह राष्ट्रीय प्रतिभाओं के सम्मान के बाद क्रमशः पूज्य मुनिश्री भव्य
| प्रतिभा सम्मान समारोह वर्ष २००२ में जयपुर में अत्यंत गरिमापूर्वक 28 नवम्बर 2003 जिनभाषित
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