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महाराजों के सुखद सान्निध्य में दशलक्षण धर्म/ पर्वराज पर्युषण | साहित्य समीक्षा' कृति का विमोचन श्रीमती विजयादेवी, श्रीपाल मनाने का सौभाग्य पाकर हम आत्मविभोर हुये।
कटारिया एवं सर्वश्री प्रेम पाण्ड्या , सुरेश गंगवाल, हेमराज ३१ अगस्त से प्रारंभ होने वाले पर्वराज पर्युषण में बहोरीबंद | बाकलीवाल, भंवरलाल गंगवाल ने संयुक्त रूप से किया। कृति के पहुँचने की ३० अगस्तीय यात्रा क्षेत्र पहुँचने पर बाधक बन रही प्रकाशक डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन, निदेशक प्राच्य विद्या अहिंसा शोध थी, जब अतृप्त धरा को वर्षा का इतना दुलार मिला, जिसे वह संस्थान (पार्श्वज्योति मंच) बुरहानपुर (म.प्र.) हैं। उक्त कृति में बाहों में नहीं समेट पा रही थी, जिससे क्षेत्र यथानाम तथा गुणवाला प. पू. मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज के प्रवचन साहित्य यानी बहोरी-'बंद' बन गया था, नदी को कुछ उतरने पर वाहन की १५ कृतियों की समीक्षा प्रस्तुत की गयी है। विमोचन समारोह उससे निकलते या नाव पर सवार होकर यात्रियों का आवागमन | का संचालन प्रा. अरूण कुमार जैन (ब्यावर) एवं डॉ. विजयकुमार होता, ऐसी स्थिति पूरे पर्यों के दौरान बनी रही फिर भी उल्लेखनीय | जैन (लखनऊ) ने किया। आभार डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन (सचिवहै कि क्षेत्र में विराजमान मुनिराजों के दर्शनार्थ एवं आहार एवं | पार्श्व ज्योति मंच) ने व्यक्त किया। आहार हेत् चौका लगाने आस-पास के क्षेत्रों के अतिरिक्त दूर-दूर | विदत्परिषद पं. कैलाशचन्द्र जैन जन्म शताब्दी से यात्रियों का तांता लगा रहा। राजेन्द्र जैन-राजमती जैन
वर्ष समारोह मनायेगी गृहशोभा, सतना (म.प्र.) श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् अपनी पंचम आत्म-साधना शिक्षण शिविर
स्थापना के ५९ वें वर्ष में श्री स्याद्वाद महाविद्यालय के प्राण
सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द जैन जन्मशताब्दी वर्ष समारोह पूर्वक दिनांक ३०.१.२००३ से १४.१२.२००३
मनायेगी। उल्लेखनीय है कि अपनी प्रखर मेघा, लेखन एवं जैन अत्यन्त हर्ष का विषय है कि परमपूज्य आचार्य १०८ श्री
सन्देश के प्रधान सम्पादक के रूप में यशस्वी हुए पंडित जी का विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेद
यह जन्म शताब्दी वर्ष है। सितम्बर को केकड़ी (राज.) में पद्मपुराण शिखर जी के पादमूल में स्थित, प्राकृतिक छटा से विभूषित, परम
परिशीलन राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी में सहभागी श्री अ.भा.दि. जैन पूज्य क्षुल्लक १०५ श्री गणेश प्रसाद जी वर्णी की साधना स्थली विद्वत्परिषद् के विद्वानों की एक बैठक डॉ. फूलचन्द जैन प्रेमी की उदासीन आश्रम, इसरी बाजार में पं. श्री मूलचन्दजी लुहाड़िया
अध्यक्षता में सम्पन्न हुई, जिसमें उक्त निर्णय लिया गया तथा यह मदनगंज (किशनगढ़), बाल ब्र. पवन भैया, कमल भैया, ब्र.
भी तय किया गया कि पंडित जी द्वारा लिखित जैनसन्देश के पंकजजी, ब्र. चक्रेशजी, ब्र. रविन्द्रजी आदि के सान्निध्य में पंचम
सम्पादकीय लेखों का संकलन इस वर्ष में विद्वत्परिषद् के विद्वान आत्म साधना शिक्षण शिविर का आयोजन होने जा रहा है। इस
सदस्य स्वद्रव्य से करेंगे। सम्पादकीय लेख संकलन का दायित्व शिविर का मूल लक्ष्य होगा
डॉ. कपूरचन्द जैन एवं डॉ. ज्योति जैन (खतौली) को प्रदान इस बहुमूल्य पर्याय का अवशिष्ट समय किस प्रकार
| किया गया। बिताया जाये ताकि आत्मा का विकास हो सके।
| बैठक में यह भी तय किया गया कि जन्म शताब्दी समारोह समस्त इच्छुक धर्मानुरागी भाई बहनों से अनुरोध है कि |
मनाने हेतु श्री स्याद्वाद महाविद्यालय, श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन १५-११-२००३ तक आश्रम में लिखित आवेदन भेजें ताकि
संघ, श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् एवं पंडित आवास, भोजन एवं समुचित सभी व्यवस्थाएं की जा सकें।
जी के शिष्य-प्रशिष्यों को मिलाकर एक समारोह समिति बनाई निवेदक
जाय। इस संबंध में समाज एवं विद्वानों के सुझाव अपेक्षित हैं। अधिष्ठाता-श्री ओमप्रकाश जैन (रेवाड़ीवाले) श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन शांतिनिकेतन उदासीन आश्रम
_ डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन
___ श्री अ.भा.दि. जैन विद्वत्परषिद् (रजि.) इसरी बाजार-(गिरिडीह) झारखंड-८२५ १०७
एल-६५ न्यू इन्दिरा नगर बुरहानपुर (म.प्र.) ४५० ३३१ 'सुधा साहित्य समीक्षा' कृति का विमोचन
केकड़ी (अजमेर )राज. में विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न केकड़ी (जिला-अजमेर) राज. में श्री अखिल भारतवर्षीय
सन्त शिरोमणि महाकवि पूज्य आचार्य विद्यासागर जी दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् के तत्वावधान में आचार्य रविषेण कृत
महाराज के सुशिष्य तीर्थोद्धारक ज्ञानरथ के सारथी पूज्य मुनिपुंगव पद्मपुराण के परिशीलनार्थ आयोजित एकादश राष्ट्रिय विद्वत्संगोष्ठी
सुधासागर जी महाराज के चातुर्मास के अन्तर्गत आचार्य रविषेण में प.पू. मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज, पू.क्षु. श्री गम्भीर
विरचित पद्मपुराण ग्रन्थ के परिशीलनार्थ एकादश राष्ट्रिय विद्वत सागर जी महाराज, पू.क्षु. श्री धैर्यसागर जी महाराज के सान्निध्य
संगोष्ठी का समायोजन हुआ। प्रा. अरुण कुमार जैन व्यावर के तथा ५० से अधिक विद्वानों एवं महती धर्मसभा के मध्य अनेकान्त
निर्देशकत्व, डॉ. विजय कुमार जैन लखनऊ के संयोजकत्व एवं मनीषी डॉ. रमेशचन्द्र जैन डी.लिट. (बिजनौर) द्वारा लिखित एवं
डॉ. जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर के परामर्शकत्व में आयोजित डॉ. अशोक कुमार जैन डी.फिल्. (लाडनूं) द्वारा सम्पादित 'सुधा |
इस सारस्वत समारोह में पूरे देश के विभिन्न प्रान्तों से पैंतीस
30 नवम्बर 2003 जिनभाषित
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