Book Title: Jinabhashita 2003 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 30
________________ १९९२ में पटवा सरकार की बर्खास्तगी के दौरान उन्होंने म.प्र. उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और वहाँ फैसला हुआ कि पटवा सरकार की वर्खास्तगी गलत थी। श्री जैन ने ही जबलपुर हाई कोर्ट में गोवध निषेध अधिनियम के समर्थन में पैरवी करके जीत हासिल की थी। म.प्र. के पूर्व महाधिवक्ता श्री जैन एक कुशल अर्थ शास्त्री भी हैं। इसी कारण प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने आपको ग्यारहवें वित्त आयोग के सदस्य के रूप में चयनित किया था। राजस्थान के महामहिम पद के उत्तरदायित्व सौंपे जाने की जानकारी मिलते ही श्री जैन सर्वप्रथम सुप्रसिद्ध श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर (दमोह) पहुँचे एवं परम पूज्य श्री बड़े बाबा तीर्थंकर ऋषभदेव के चमत्कारी एवं अतिशयकारी जिनबिम्ब के श्री चरणों में श्री फल समर्पित किया। साथ ही क्षेत्र पर ग्रीष्मकालीन वाचना काल में विराजित जैन समाज के श्रेष्ठ संत दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के श्री चरणों में भक्तिपूर्वक श्री फल समर्पण करके मंगल आशीष प्राप्त किया। १४ मई ०३ को जयपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अनिलदेव सिंह ने ७४ वर्षीय निर्मल चन्द जैन को राजभवन के लान में आयोजित गरिमापूर्ण एवं उत्साह भरे समारोह में १०.३० बजे राज्यपाल के रूप में पद एवं गोपीनयता की शपथ दिलाई। श्री जैन के द्वारा हिंदी में शपथ लेने के पूर्व राजस्थान के मुख्य सचिव आर. के. नायर ने राष्ट्रपति द्वारा श्री जैन की नियुक्ति से संबंधित अधिपत्र पढ़ा। शपथ ग्रहण समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष अनेक पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री परिषद् के सदस्य, उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, वरिष्ठ प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के साथ अन्य जनप्रतिनिधि, पत्रकार, गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। श्री निर्मल चन्द जैन के राजस्थान के महामहिम राज्यपाल पद पर आसीन होने के अवसर पर जैन समाज की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें। डॉ. भागचन्द्र 'भास्कर' पुरस्कृत डॉ. भागचन्द्र जैन 'भास्कर' पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, पालि प्राकृत विभाग, नागपुर विश्वविद्यालय एवं पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, अहिंसा इन्टरनेशनल डिप्टीमल आदीश्वर लाल जैन साहित्य पुरस्कार २००२ से सम्मानित किये गये । उन्हें यह सम्मान उनके विशिष्ट साहित्यिक योगदान पर २० अप्रैल को दिल्ली में आयोजित समारोह में श्री विजय गोयल केन्द्रीय मंत्री, भारत सरकार के हस्ते श्रीफल, शाल, प्रतीक चिह्न और इकतीस हजार की राशि के साथ प्रदान किया गया। दीपचन्द्र जैन, सदर, नागपुर 28 जून 2003 जिनभाषित Jain Education International डॉ. रमेशचन्द जैन, डी. लिट्. 'अहिंसा' के लिये पुरस्कृत श्री दिगम्बर जैन साहित्य, संस्कृति संरक्षण समिति, दिल्ली की ओर से जैन दर्शन के प्रमुख अध्येता, श्री अ. भा. दि. जैन विद्वत् परिषद् के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेशचन्द्र जैन, डी. लिट. (वरिष्ठ संपादक पार्श्व ज्योति), बिजनौर (उ.प्र.) को उनके द्वारा लिखित 'अहिंसा' कृति पर समिति द्वारा पूर्व में घोषित प्रतियोगिता नियमों के अनुरूप निर्णायकों द्वारा सर्वश्रेष्ठ कृति अनुशंसित किये जाने पर परमपूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में एक महती धर्मसभा के मध्य समिति की संरक्षिका श्रीमती शिखरचन्द जैन एवं उनके सुपुत्र श्री प्रवीण कुमार जैन तथा परिजनों ने पुष्पहार, शाल, श्रीफल एवं ५१०००रु. की राशि भेंट कर पुरस्कृत किया। डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' 'जैन धर्म की मौलिक विशेषताएँ' कृति का विमोचन जैन दर्शन के प्रमुख अध्येता, अनेकान्त मनीषी डॉ. रमेशचन्द जैन, डी. लिट्, बिजनौर (उ.प्र.) द्वारा चार वर्ष के गहन शोध एवं अध्ययन के बाद लिखित 'जैन धर्म की मौलिक विशेषताएँ ग्रंथ का विमोचन प. पू. उपाध्याय श्री नयनसागर जी महाराज एवं पूज्य क्षु. श्री समर्पण सागर जी महाराज के सान्निध्य में जलालाबाद (उत्तरांचल) में सम्पन्न हुआ । डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' खानपुर (चांदखेड़ी जिला- झालावाड़) के श्री शंकरलाल जैन की सुपुत्री शशि जैन लगातार परिश्रम, अध्ययनशीलता, दृढसंकल्प एवं प्रबल इच्छा शक्ति के परिणाम स्वरूप सत्र २००२-२००३ में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के कलावर्ग की बारहवीं कक्षा में ८६ प्रतिशत अंक अर्जित कर प्रथम स्थान पर रहीं। उन्हें अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। अभिनन्दन । चातुर्मास हेतु निवेदन बड़े बाबा कुण्डलपुर में विराजित छोटे बाबा संत शिरोमणि महान् दिगम्बराचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज को अजमेर के १५० धर्मानुरागी बन्धुओं ने श्री कुमुद सोनी, श्री अजय दनगसिया, श्री अशोक साह बजाज, श्री हीराचन्द जैन, श्री युवराज कासलीवाल आदि के साथ दिनांक २७ अप्रैल २००३ को अजमेर चातुर्मास हेतु निवेदन किया व श्रीफल समर्पित किये। For Private & Personal Use Only मधुसूदन जैन " www.jainelibrary.org

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