Book Title: Jinabhashita 2003 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 28
________________ 29. 30. 31. 32. 33. 35. आचार्य श्री विद्यासागर जी के चरणों की सेवा करते दर्शन-अनुभूति खण्ड वक्त आप के मन में क्या विचार उत्पन्न हुए? आचार्य श्री विद्यासागर जी के केशलोंच के पहले एवं गद्य या पद्य में लिखकर भेजेंबाद में उनकी छविदर्शन से आप के मन में क्या तरंगें आचार्य श्री विद्यासागर जी के पहली, दूसरी या तीसरी उठीं? , बार आदि में आपको दर्शन करने से जो अनुभूति-प्रेरणा आदि प्राप्त हुई एवं उसके बाद के दर्शन की अनुभूति में कैसा/क्या आचार्य श्री विद्यासागर जी जब अपने शिष्य जनों को महसूस हुआ? मुनिदीक्षा, आर्यिकादीक्षा, ऐलकदीक्षा या क्षुल्लकदीक्षा उनके दर्शन के पहले उनके प्रति आपके क्या सोच विचार देते हैं, उस प्रसंग को देखकर आपके मन में क्या भाव थे तथा दर्शन के बाद अब क्या सोच विचार हैं? आया? नोट (अ) यह संकलन सात खण्डों में विभाजित है आचार्य श्री विद्यासागर जी जब किसी साधु, त्यागी, इस हेतु समस्त देशवासियों के विचार आमंत्रित हैं। आर्यिका माताओं की सल्लेखना-समाधिमरण कराते हैं, प्रश्न-उत्तर खण्ड -गद्य में उस प्रसंग को देखकर आप आचार्यश्री जी के बारे में दर्शन की अनुभूति खण्ड - गद्य में क्या सोचते हैं या उस वक्त आपको वे कैसे निदेशक दर्शन की अनुभूति एवं उस पर भावात्मक विचारों का चित्र लगते हैं? बनाएँ-चित्र खण्ड आचार्य श्री विद्यासागर जी के सामाजिक, चारित्रिक | 4. दर्शन की अनुभूति- काव्य पद्य खण्ड में एवं शिक्षा की उन्नति के कार्य देखकर आपको क्या | 5. हाथ से लिखे हुए विचार पत्र जो शुद्ध, सुन्दर लिखाई में प्रेरणा मिलती है? लिखे हों तथा पढ़ने समझ में आने वाले हों - हस्तलिखित आचार्य श्री विद्यासागर जी जब प्रतिक्रमण करते हैं, खण्ड। चिन्तन करते हैं, लेखन कार्य करते हैं, या स्वाध्याय | 6. , आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक आकड़ा खण्ड आदि कराते हैं, उस दृश्य को देखकर या उस समय की | 7. चारित्रिक-नैतिक आँकड़ा खण्ड मुद्रा देखकर आपके मन में क्या विचार आता है? (ब) इसके अतिरिक्त अपने मन से प्रश्न बनाकर भी उत्तर लिख सकते हैं तथा अन्य सुझाव भी दे सकते हैं। प्रश्नों के उत्तर आचार्य श्री विद्यासागर जी की मौन-मुद्रा या समय अथवा पृथक् से अपने विचार एक कागज में अलग से या अपने समय पर स्मित मुस्कान देखकर आप के मन में क्या लेटर पेड पर या सामान्य कागज पर लिखकर अपनी सील हो तो विचार-चिन्तन आता है? उसे लगाकर अन्त में अपने हस्ताक्षर करें और अपनी सुविधा के आचार्य श्री विद्यासागर जी की सुबह शाम की आचार्य अनुसार अन्य साधन से लिखकर भिजवा सकते हैं। भक्तिरूप गुरु वन्दना की क्रिया देखकर आप को किस (स) विचार-अनुभूति एवं प्रश्न-उत्तर पत्र के अन्त में प्रकार की शिक्षा-प्रेरणा मिलती है? अपने हस्ताक्षर करें एवं तारीख अवश्य लिखें, साथ में पूरा पता/फोन आचार्य श्री विद्यासागर जी के दर्शन कर एवं आशीर्वाद नम्बर को एस.टी.डी. कोड नम्बर सहित लिखें। स्कूल, कॉलेज में प्राप्त कर आपने क्या शारीरिक-स्वास्थ्यलाभ प्राप्त किया पढ़ने वाले विद्यार्थी अपनी शिक्षा भी लिखें। सर्विस करने वाले या समस्या का क्या कोई समाधान प्राप्त किया अथवा अपना पद एवं कार्यालय का पूरा पता भी लिखें, साथ में स्थायी उनकी आशीर्वाद की मुद्रा से आप को क्या शिक्षा, पता को एस.टी.डी. कोड नम्बर एवं फोन नम्बर तथा पिन कोड प्रेरणा मिली है? नम्बर के साथ में अवश्य ही लिखें। आचार्य श्री विद्यासागर जी आपके नगर, गाँव या शहर विशेष में जब पधारे थे, उस समय कोई अतिशय चमत्कार या 1. साहित्यकार एवं कवियों की कविताएँ इन्हीं सब विषयों पर घटना-संस्मरण आपकी स्मृति में हो, तो लिखकर भेजें आमंत्रित हैं। या उनके कहीं पर दर्शन करने आए हों उस समय की | 2. इन्हीं सब विषयों पर चित्रकारों के चित्र भी आमंत्रित हैं। स्मरणीय घटना आदि भी लिखकर भेजें। 3. समाज में विचार लिखवाने के लिए प्रतियोगिता कराई जा आचार्य श्री विद्यासागर जी आपके नगर, गाँव में जब सकती हैं तथा चित्र प्रतियोगिता। आए थे, उस समय का सन्, तारीख, दिन का उल्लेख 4. आवश्यकतानुसार संकलन का नाम या खण्डों में भी परिवर्तन किया जा सकता है। करते हुए अगवानी,प्रवेश, जुलूस, प्रवचन या अन्य कृपया अपने विचार, पत्र इस पते पर अतिशीघ्र भेजेंसमय के फोटोग्राफ हों, तो उन पर विवरण लिखकर 'जिनभाषित' भेजें, आहार-चर्या के फोटो ग्राफ छोड़कर। ए/2 मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल - 462 016 जून 2003 जिनभाषित 36. 37. 39. 26 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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