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४०-५० शिविरार्थियों को दशलक्षण पर्व में प्रवचन देने सेक्टर-७ आगरा में संयुक्त रुप से विद्वत् श्रेष्ठी श्रीमान् निरंजनलाल का भी अभ्यास कराया गया। शिविर में बालबोध, छहढ़ाला | जी रतनलाल जी बैनाड़ा के निर्देशन में शिविर सम्पन्न हुआ। तत्वार्थसूत्र तथा समयसार का अध्ययन कराया गया।
प्रतिदिन प्रातः एवं सांय 1/2 -1/2 घंटे की कक्षाओं में तत्वार्थ सूत्र का अध्ययन कराने वाली श्रीमती पुष्पा बैनाड़ा | बालबोध, छहढाला, तत्वार्थसूत्र एवं "कुन्द कुन्द का कुन्दन" एवं समय सार का अध्ययन कराने वाले विद्वत् श्रेष्ठी श्रीमान् रतनलाल | ग्रंथों का अध्ययन कराया जाता था। श्रमण संस्कृति संस्थान के जी बैनाड़ा की सभी लोगों ने मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। कोपरगाँव
अधिष्ठाता विद्वत् श्रेष्ठी श्रीमान् रतनलाल जी बैनाड़ा स्वयं "कुन्द की समाज ने अगले ५ वर्षों तक शिविर लगाने का संकल्प लिया
कुन्द का कुन्दन" के ग्रन्थ का अध्यापन कराते थे। दोनों स्थानों
पर करीब ३५० शिविरार्थियों ने अध्ययन किया तथा सभी को बारामती- श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर के सान्निध्य
सच्चरित्र बनाने के लिए कुछ न कुछ नियम जरुर लेने को प्रोत्साहित में दिनांक २८ मई २००३ से ५ जून २००३ तक श्री दिगम्बर जैन
किया गया। दिनांक १९ जून को पुरस्कार वितरण के साथ भव्य समाज बारामती द्वारा महावीर भवन में शिविर का आयोजन किया
समारोह में समापन सम्पन्न हुआ। गया।
पं. सुनील शास्त्री प्रत्येक दिन श्रमण संस्कृति संस्थान के विद्वानों द्वारा 1/2
९६२, सेक्टर-७ बोदला, आगरा -12 घंटे के चार सत्रों में बालबोध, छहढ़ाला, द्रव्य संग्रह,
फोन नं. २२७७०९२ तत्वार्थसूत्र का अध्ययन कराया जाता था। रात्रि में ३०-४० मिनिट | डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत को मातृ-शोक इष्टोपदेश का उच्चारण एवं अर्थ की कक्षा श्री पी.सी. पहाड़िया
जैन जगत के मनीषी विद्वान अ.भा. दिगम्बर जैन शास्त्री भीलवाड़ा वाले लेते थे, तदुपरांत श्रमण संस्कृति संस्थान के अधिष्ठाता
परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. श्रेयांस कुमार जैन (बड़ौत) की माता जी विद्वत् श्रेष्ठी श्रीमान् रतन लाल जी बैनाड़ा स्वयं ३०-४० मिनिट
श्रीमती रजन देवी जैन ध.प. श्री जोरावल जैन का स्वर्गवास धर्मध्यान तत्व चर्चा की कक्षा लेते थे। करीब २००-२५० शिविरार्थियों ने
पूर्वक ग्राम दुमदुमा (म.प्र.) में ६ जून २००३ को हो गया। श्रीमती ज्ञानार्जन का लाभ लिया।
रजन देवी जैन की आयु ८२ वर्ष की थी। धर्मपरायणा, मुनिभक्ता तारंगा- दिनांक १८ मई से २४ मई तक शिविर का
श्रीमती रजनदेवी जी ने अपने जीवन काल में प्रतिमा स्थापना और आयोजन सम्पन्न हुआ। करीब २५० शिविरार्थियों ने अध्ययन
वेदिका निर्माण आदि अनेक धार्मिक कार्य सम्पन्न किए। सरल किया। श्रमण संस्कृति संस्थान सांगनेर से आए हुए विद्वानों द्वारा
स्वभावी श्रीमती रजन देवी जैन अन्तिम क्षण तक णमोकार मंत्र शिक्षण कार्य सम्पन्न कराया गया।
का स्मरण करती रहीं, हम उनकी सद्गति हेतु प्रार्थना करते हैं। ईडर-श्री १००८ चिंतामणि पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दिनांक २५ मई से ३० मई तक शिविर अपूर्व धर्म प्रभावना के
सहायता प्राप्त साथ सम्पन्न हुआ।
धूलियान (मुर्शिदाबाद) निवासी श्री मोहनलाल जी अजमेरा शिविर में श्रमण संस्कृति संस्थान से आये हुए विद्वानों (फर्म मै. धन्नालाल जी मोहन लाल जी) के सुपौत्र एवं जिनेन्द्र द्वारा बालबोध, छहढ़ाला का अध्यापन कराया गया। प्रथम शिविर | कुमार जैन सी.ए. कलकत्ता के सुपुत्र चि. राजीव कुमार के साथ होते हुए भी करीब ४०० शिविरार्थियों ने अध्ययन किया। गौहाटी निवासी श्री सुशील कुमार रारा की सुपुत्री सौ. निधि के
आगरा- श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, | शुभ विवाह के अवसर पर दिनांक १४.१२.०२ को रु. २५०/- की छीपीटोला एवं श्री दि. जैन मंदिर, आवास विकास कॉलोनी, | सहायता राशि प्राप्त हुई।
आचार्य श्री विद्यासागर जी के सुभाषित परमार्थ अभिव्यक्त होने पर शब्द बौने/निरर्थक से हो जाते हैं, अतः शब्दों के माध्यम से स्वयं जागें और परमार्थ की अभिव्यक्ति कर उसका रसपान करें। शब्दों के माध्यम से मन जितना-जितना अर्थ की ओर जाता है उसकी एकाग्रता उतनी ही बढ़ती जाती है। वास्तविक उपदेश वह है जिसके द्वारा हम अपने देश (आत्मा) के पास आ सकें अन्यथा वह उपदेश उपदेश नहीं पर- देश ही समझो।
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जून 2003 जिनभाषित -
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