Book Title: Jinabhashita 2003 06
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 33
________________ श्री महावीर उदासीन आश्रम कुण्डलपुर के । टी.वी. सुमित्रा देवी, तुमकूर को समर्पित किया गया। एवं श्री नवीन आश्रम हेतु भूमि पूजन सर्वेश जैन, मूडबिद्री, को 'श्री ए.आर. नागराज प्रशस्ति' से सम्मानित किया गया। श्री १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ डॉ. एन. सुरेश कुमार सान्निध्य में ता. ८ जून २००३ को साहू गेस्ट हाऊस के पूर्व में तालाब के किनारे छह घरिया मार्ग पर क्षेत्र कमेटी द्वारा पुराने श्री स्वदेश जैन का आकस्मिक निधन जर्जर भवन को ध्यान में रखते हुए, भूमि आवंटित की है। जबलपुर (म.प्र.) के एक प्रमुख समाज सेवी, प्रतिष्ठित इस भूमि पर १९१५ में बने उदासीन आश्रम के संस्थापक | व्यवसायी एवं समर्पित निष्ठावान कांग्रेसजन श्री स्वदेश जैन का जो स्व. ब्र. गोकुल चन्द जी वर्णी ने त्यागियों, व्रतियों तथा गृह से कि "भालू सेठ" के लोकप्रिय संबोधन से संबोधित किये जाते उदासीन श्रावकों को आत्म सम्मान पूर्वक जीवन यापन द्वारा समाधि | थे, आकस्मिक और असामयिक निधन गत ८ जून की रात्रि को साधना का लक्ष्य बनाया था। विगत् ८८ वर्ष से क्षेत्र पर स्वतंत्र उपनगरीय मदनमहल रेल्वे स्टेशन के समीप एक ट्रेन दुर्घटना में इकाई के रूप में चलते इस आश्रम को नए भवन में स्थापित करने हो गया। का श्रेय (अनुदान) स.सि. कन्हैया लाल गिरधारी लाल श्री चन्द्रप्रभु सुबोध जैन दिगम्बर जैन मंदिर कटनी को प्राप्त है। श्री कैलाश मडबैया, बुन्देलखण्ड परिषद के आचार्य श्री के आशीर्वाद एवं सान्निध्य में तथा कमेटी राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित एवं यात्रियों की उपस्थिति में पूजनादि क्रियाएँ स.सि. प्रसन्न कुमार भोपाल, दि. ६ जून २००३ "बुन्देली समारोह-२००३" अमर चंद द्वारा सम्पन्न की गईं। के दूसरे दिन स्वराज भवन में "अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड छह माह में यह भवन तैयार हो जायगा। अधिष्ठाता के साहित्य एवं संस्कृति परिषद्" के श्री कैलाश मड़बैया पुन: राष्ट्रीय लिए गृहविरत, ब्रह्मचारी, वृद्धश्रावक जिन्होंने समाधिसाधना का लक्ष्य बनाया हो आवेदन करें। अध्यक्ष चुने गये। मनोज जैन ब्र. अमरचन्द्र जैन श्री महावीर उदासीन आश्रम ग्रीष्मकालीन शिक्षण शिविरों की श्रृंखला से कुण्डलपुर (दमोह) अपर्व धर्म प्रभावना डॉ. सुदीप जैन 'गोम्मटेश विद्यापीठ प्रशस्ति' कोपरगाँव- श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर के सान्निध्य (२००३) से सम्मानित में दिनांक १ मई से १४ मई तक का शिविर सन्मति सेवादल द्वारा श्री एस.डी.एम.आई. मैनेजिंग कमेटी, श्रवणबेलगोला | आयोजित किया गया। श्रमण संस्कृति संस्थान के अधिष्ठाता विद्वत् (कर्नाटक) के द्वारा स्थापित एवं संचालित दक्षिण भारत के श्रेष्ठी श्रीमान् रतनलाल जी बैनाड़ा अपने सहयोगियों एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार के समान प्रतिष्ठित 'श्री गोम्मटेश विद्यापीठ ब्रह्मचारीगणों के साथ दिनांक १ मई को कोपरगाँव स्टेशन पर जैसे पुरस्कार' (वर्ष २००३) का समर्पण-समारोह दिनांक १४.४.२००३ ही उतरे सन्मति सेवादल के कार्यकर्ताओं द्वारा अभूतपूर्व, भावभीना को सायंकाल ७.०० बजे श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला में भव्य स्वागत किया गया। समारोहपूर्वक सम्पन्न हुआ। इसमें उत्तर भारत के विशिष्ट विद्वान् दिनांक २ मई को पूरे कोपरगाँव में भव्य जिनवाणी डॉ. सुदीप जैन को प्राकृतभाषा और साहित्य के क्षेत्र में अनन्य शोभायात्रा निकाली गई एवं सभी साधर्मी भाइयों ने अपने द्वार पर योगदान के लिए इस वर्ष का 'गोम्मटेश विद्यापीठ प्रशस्ति पुरस्कार' जिनवाणी की आरती उतारकर भक्ति भाव से अर्चना की। दिनांक समर्पित किया गया। पुरस्कार-समिति के कार्याध्यक्ष श्री ए. शांतिराज ३ मई को शिविर का उद्घाटन हुआ। 12-12 घंटे के चार सत्र शास्त्री एवं कार्यादर्शी श्री एस.एन. अशोक कुमार की देखरेख में धार्मिक शिक्षण के लगते थे। रात्रि में स्कूल की फील्ड में शांत एवं गरिमापूर्वक आयोजित इस समारोह में पूज्य भट्टारक स्वस्तिश्री चारुकीर्ति स्वामी जी ने अपने करकमलों से डॉ. सुदीप जैन को प्रसन्न वातावरण में ८ बजे से विद्वत् श्रेष्ठी श्रीमान् रतनलाल जी माल्यार्पण, शॉल, श्रीफल एवं प्रशस्ति-पत्र सहित यह सम्मान बैनाड़ा द्वारा भक्तामर स्तोत्र के चार काव्यों का उच्चारण एवं अर्थ प्रदान किया। सिखाया जाता था, तदुपरांत ४५ मिनिट तत्व चर्चा/शंका समाधान इस समारोह में तीन दक्षिण भारतीय विद्वानों को भी उनके होता था। कोपरगाँव से लगभग ४०० शिविरार्थियों ने तथा पूरे विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वे हैं - महाराष्ट्र से आए हुए २५० शिविरार्थियों ने शिविर में अध्ययन १. श्री पी.सी. गुंडवाडे (रिटायर्ड जज) बेलगाम, २. श्री किया। रात्रि में लगने वाली कक्षा में तो पूरी समाज एवं श्वेताम्बर रतनचंद नेमिचंद कोठी, इंडी ३. डॉ. सरस्वती विजय कुमार, । समाज के लोगों ने भी उत्साह पूर्वक भाग लिया। मैसूर । इनके साथ ही दिनांक १६.४.२००३ को आयोजित कार्यक्रम | शिविर द्वारा ज्ञानार्जन तो हुआ ही, साथ ही सभी शिविरार्थियों में 'श्री गोम्मटेश्वर विद्यापीठ सांस्कृतिक पुरस्कार' भी श्रीमती | को सच्चरित्र बनाने के लिए विभिन्न नियम भी दिलाए गए। - जून 2003 जिनभाषित 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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