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महाप्रयाण--स्वास्थ्य निरन्तर गिरता रहा और समालों के ना . ४२ को आप श्री पर पक्षाघात का आक्रमण हुआ। आपने अनुभव
कमा ल
तर आने दि. १८-६-४२ को सकल संघ से अन्तिम क्षमा प्रार्थना की।
उ ir H श्री के. गोयशाली, संघर्पगय जीवन के सर्वथा अनुकूल थे। एक महाप्रयाण की कगार पर भी की गति
और वैचारिक चैतन्य तथा अपने सिद्धान्तों पर अविचल आस्था का साराम सोश में था। एक सत्य गवेपक का अपराजेय शौर्य उरा राजेश में पत पद पर पाया । भोला जी आंग्रे में तर थीं।
वि. सं. १६६६ का चौमासा भी भीनासर (बीकानेर) में आप पर तथा नागन कर भयानक फोड़ा निकल आया। बहुत चिकिला की पर डॉक्टरों को निराशा ही हाथ लगी।
__ संथारा व स्वर्गारोहण-आपाढ़ शुक्ला अष्टमी को निराशाजनक शारीरिक मिति में सुधावार्य श्री गणेशीलाल जी म. सा. ने निर्देशानुसार तिविहार रांबारा करा दिया। पूज्य श्री के प्रशाला, सोन्य, प्रशान्त गुमंडल पर अलौकिक सात्विक आभा प्रदीप्त थी। आपको चौविहार गंधारा कराया और उसी दिन अर्थात् आपाद शुक्ला अटमी सं. २००० को सायं ५ बजे ज्योतिर्धर जवाहराचार्य जी की तेजस्वी, सशक्त आगामे अशत देश का परित्याग कर दिया। इस गहाप्रयाण के समाचार रो सहसा राय रतव्य रह गए।
स्वर्गारोहण के समाचार फैलते ही अंतिग दर्शन के लिए अपार भीड़ उगड़ पड़ी। सारे देश में विधत गति से खबर फैली और शोक सागर लहराने लगा। युवाचार्य श्री गणेशीलाल जी म. सा. को सर्वप्रथम आचार्य पद की चादर प्रदान की गई तत्पश्चात् दूसरे दिन स्व. श्री जवाहराचार्यजी की शवयात्रा स्वर्णमंडित रजत विमान में विराजित करके निकाली गयी। आगे-आगे बीकानेर महाराजा श्री गंगासिंहजी द्वारा भेजे गए नगामा, निशान तथा बैंड थे और विमान के पीछे पूज्यश्री के यशोगीत गाती भजनगंडलियां चल रही थीं। अगणित रोते-गाते श्रद्धालु स्त्री-पुरुषों का जनप्रवाह इस यात्रा में सम्मिलित हुआ । चन्दन, घृत, कपूर, खोपरों आदि को निता पर जब विमान सहित पूज्यश्री का अग्नि संरकार किया गया तो. हजारों आंखें बरस पड़ीं।
__ अपार श्रद्धा-युगद्रष्टा, युगस्रष्टा क्रांतिदर्शी, प्रखर राष्ट्रवादी ज्योतिधर आचार्य श्री जवाहरलालजी म.सा. के महाप्रयाण के समाचारों से देशभर में शोकसागर उगड़ पड़ा। जिन-जिन रियासतों में आपका विहारादि दुआ था, उन सभी के राजा महाराजा व नवाबों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। महानगरी बम्बई के मुस्ता गाजार बन्द रहे। पंजाव, मारवाड़, मेवाड़, गुजरात, गहाराष्ट्र, गालवा आदि में शोकराभाएं आयोजित कर हार्दिक श्रमासुमन अर्पित करते हुए जवाहर की ज्ञान ज्योति को जाग्रत रखने के संकल्प लिए गए।
उस समय के पूज्य प्रभावक सन्तों, गहापुरुषों, राजनेताओं एवं समाजसेवियों ने अंतहंदय से श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय सन्त, जैन जवाहर, हिन्द की धर्ग क्रांति, प्रखर तत्त्व वेत्ता-चारित्र रध के निपुण सारथी आचार्यश्री जवाहरलालजी म.सा. का पार्थिव शरीर पंचतत्त्वों की भेंट चढ़ गया, किन्तु उनका यश : शरीर युग-युग तक अमर रहकर समाज, राष्ट्र और प्राणिमात्र को सत्य धर्ग का शाश्वत सन्देश सुनाता रहेगा।
जय जवाहर
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