Book Title: Jainism Course Part 03
Author(s): Maniprabhashreeji
Publisher: Adinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
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।। श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमः।।
तव चरणं
शरणं मम
जिनकी कृपा, करुणा, भाशिष, वरदान एवं वात्सल्य धारा इस कोर्स पर सतत बरस रही है। जिनके पुण्य प्रभाव से यह कोर्स प्रभावित है, ऐसे विश्व मंगल के मूलाधार प्राणेश्वर, हृदयेश्वर, सर्वेश्वर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु के चरणों में ......
. जिनकी क्षायिक प्रीति भक्ति ने इस कोर्स को प्रभु से अभेद बनाया है, ऐसे सिद्धगिरि मंडन ऋषभदेव भगवान के चरणों में....
इस कोर्स को पढ़कर निर्मल भाराधना कर आने वाले भव में महाविदेह क्षेत्र में जिनके पास जाकर यारित्र ग्रहण कर मोक्ष को प्राप्त करना है, ऐसे मोक्ष दातारी सीमंधर स्वामी के चरणों में ....
जिनकी अनंत लब्धि से यह कोर्स मोक्षदायी लब्धि सम्पन्न बना है ऐसे परम श्रद्धेय समर्पण के सागर गौतम स्वामी के चरणों में....
जो समवसरण में प्रभु मुख कमल में विराजित है, जो जिनवाणी के रूप में प्रकाशित बनती है, जो सर्व अक्षर, सर्व वर्ण एवं स्वर माला की भगवती माता है, जो इस कोर्स के प्रत्येक अक्षर को सम्यग् ज्ञान में परिणमन कर रही है ऐसी तीर्थेश्वरी सिद्धेश्वरी माता के चरण कमलों में ......
शताब्दि वर्ष में जिनकी अपार कृपा से जिनके सानिध्य में इस कोर्स रचना के सुंदर मनोरथ पैदा हुए एवं जिनके अविरत आशिष से इस कोर्स का निर्माण हुआ। जो जन-जन के आस्था के केन्द्र है, जो इस कोर्स को विश्व व्यापी बना रहे हैं। जो पू.धनचन्द्रसूरि, पू.भूपेन्द्रसूरि, पू.यतीन्द्रसूरि, पू.विद्याचन्द्रसूरि आदि परिवार से शोभित है ऐसे समर्पित परिवार के तात विश्व पूज्य प्रातः स्मरणीय पू. दादा गुरुदेव राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के चरण कमलों में.....
जिनकी कृपावारिसे सतत मुझे इस कोर्स के लिए प्रोत्साहित किया ऐरी वर्तमान श्राचार्यदेवेश श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा., पू. गुरुणीजी विद्याश्रीजी म.सा, पू. प्रवर्तिनी मानश्रीजी म.सा., पू. महत्तरिका ललितश्रीजी म.सा., पू प्रवर्तिनी मुक्ति श्रीजी म.सा., सेवाभावी गुरुमैय्या संघवणश्रीजी म.सा. के चरण कमलों में....
इस कोर्स का प्रत्येक खंड, प्रत्येक येप्टर, प्रत्येक क्षर आपका श्रापश्री के चरणों में
सादर समर्पणम्
सा. मणिप्रभाश्री
5/4/2010, सोमवार
भीनमाल

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