Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 2
________________ भारतीय ज्ञानपीठ काशी ज्ञानपीठ - प्रन्थागार " णाणं पयासयं" कृपया (१) मैके हाथोंसे पुस्तकको स्पर्श न कीजिये । जिल्दपर काग़ज़ चढ़ा लीजिये । (२) पत्रे सम्हाल कर उलटिये । थूकका प्रयोग न कीजिये । (३) निशानीके किये पते न मोदिये, न कोई मोटी चीज़ रखिये । काशिका टुकड़ा काफी है । (४) हाक्षियोंपर निज्ञान न बनाइये, न कुछ लिखिये । (५) चुली पुस्तक कटकर न रजिये, न दोहरी करके पढ़िये । (६) पुखकको समयपर अवश्य कोटा दीजिये । "दुख ज्ञानजननी है, इनकी विजय कीजिये"

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