Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 8
________________ ( १ ) सुलभता से कर सकेगा और किसीकी सहायता लेने की भी आवश्यक्ता नहीं पड़ेगी। इस नक्शे में हरएक सिद्धक्षेत्र, अतिशयक्षेत्र व क्षेत्रको लाल स्याही से सचित्र बता दिया है । इससे तो इसकी उपयोगिता वसुंदरता और भी अधिक बढ़ गई है, तथा यह नकशा अलग भी सिर्फ दो आने में देने का हमने प्रबंध किया है । आशा है कि “जैन तीर्थयात्रा दर्शक " की इम दूसरी आवृत्तिके प्रकट होजानेसे जैन यात्रियोंको अतीव सुलभता होगी । अंतमें हम इस ग्रन्थके रचयिता श्री०ब० गेबीलालजीका आभार मानते हैं कि जिन्होंने ऐसे कठिन व महत्वपूर्ण ग्रन्थको बनाया है । ब्रह्मचारीजीका चित्र व संक्षिप्त परिचय भी इस ग्रंथ में दिया गया है, जिससे ब्रह्मचारीजीकी अनुकरणीय समाजसेवा व त्यागवृत्तिका पाठकोंको पता लग सकेगा। दूसरे श्री० पं० गुलजारीलालजी चौधरी भी धन्यवादके पात्र हैं जिन्होंने इस पुस्तककी सिलसिलेवार प्रेस कोपी करदी थी। अब भी इस ग्रन्थ में कुछ त्रुटियां रह गई हों तो पाठक हमें सूचित करते रहें जिससे आगामी आवृत्ति में वे त्रुटियां ठीक होसकें । सूरत बीर सं० २४५६ भाश्विन सुदी ५. } निवेदक मूलचन्द किसनदास कापड़िया, प्रकाशक ।

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