Book Title: Jain Tirth Yatra Darshak
Author(s): Gebilal Bramhachari, Guljarilal Bramhachari
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 12
________________ निकर करते ही मापने यह पुस्तक अपनी ओरसे प्रकाशित कर नेको कहा और मैंने उनको स्वीकारता दी । इसके बाद मैंने सं० १९८५का चातुर्मास लाडनूं (मारवाड़) किया और वहां पांच माह परिश्रम करके इस पुस्तकको भारतवर्ष के जैन भाइयोंके लाभार्थ फिरसे लिखके तैयार की व मुरत प्रकाशनार्थ भेज दी थी जो अब प्रकट हो रही है। इसमें अब भी प्रमादवश और मेरे दूर रहनेके कारण कहीं पर अशुद्धियां रह गई हों ते पाठक सुधार लेवें और उसकी सुचना भी मुझे दें ताकि वे अशु. द्धियां अगली आवृत्तिमै सुधारी नासकें। विज्ञेषु किमधिकम् । ममाजसेवी-ब्र गेबीलाल ।

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