Book Title: Jain Tattva Saragranth Satik Author(s): Surchandra Gani, Manvijay Gani Publisher: Vardhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala View full book textPage 1
________________ ॥ श्री वर्द्धमान-सत्य-नीति-हर्षसूरिजैनग्रन्थमाला पुष्प ५ ॥ ॥ रैवताचलतीर्थोद्धारक आचार्य श्री विजयनीतिसूरीश्वरपादपद्मभ्यो नमः ॥ ॥ महोपाध्याय श्री सूरचंद्रगणिवर्यविरचितः ॥ ॥ जैनतत्त्वसारग्रन्थः सटिकः ॥ संशोधकः सम्पादकश्च-जिनागमतत्त्वविशारद सुविहिताचार्य श्री विजयहर्षसूरीश्वरशिष्य अनुयोगाचार्य पं० श्री मानविजयो गणी प्रकाशक:-श्री वर्धमान-सत्य-नीति-हर्षसूरिजैनग्रन्थमालायाः व्यवस्थापकः श्रेष्ठी भोगीलाल साकलचंद-रीचीरोड-अमदावाद वीर संवत् २४६७ ] सत्य सं. २४१ [ विक्रम संवत् १९९७ अस्य ग्रन्थस्य पुनर्मुद्रणाद्याः सर्वेऽधिकाराः प्रकाशकेन स्वायत्तीकृताः मुद्रक :-शाह गुलाबचंद लल्लुभाई, श्री महोदय प्रिन्टींग प्रेस, दाणापीठ-भावनगर.Page Navigation
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