Book Title: Jain_Satyaprakash 1941 02
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
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અંક |
શ્રીવાન શાહ ફતેહચંદજી સુરાણ
[ ર૧]
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दीवानके पद से पदच्युत:कर दिया जाता था। यही हाल शाह फतेहचंदजीका भी हुआ। वे भी महाराजासारव की इस विचित्र नीति के आगे न टिक सके और पदच्युत कर दिये गये । मोहनलाल मुंशी अपने इतिहासमें लिखते है। कि फतेहचंदजी सुराणा १५ योम तक दीवान रहे।
खैर जो कुछ हो आपकी यशःपताका आज भी इस भूमण्डल पर फहराती है और चिरकाल तक फहराती रहेगी।
महाराजा सरदारसिंहजीने कुछ रुक्के अमरचंदजी सुराणा के वंशनों को दिये थे, उनमें से कुछ रुक शाह फतेहचन्जी के भी हैं उनकी नकल यहां नीचे दी जाती है।"
श्री रामजी
॥ रुको खास साह फतहचन्दजी दिसी सुप्रसाद बथै अपरंच कणवाई बुची ली बदडै सुं ओठी धाडो करणने आंवता था लुतुंबा ठाकरो हरनाथ. सिंहनी वार चढ धाडषियों सु झगडो कियौ तेमें धाडवी मारा गया बाकी रहा ज्यां सारांने पकड लिया वा ठाकुरो रणजीतसिंघजी वा हरनाथसिंघजी वा दूजा ही बार वालो झघडो आछो कीयौ तेरा समाचार सारा मालुम हुषा सु म्हे घणां खुश हुवा आ चाकरी सारोंरी मोटी सझी सु झघडे में सामल था ज्यां सारा ने पूरी खातरी कर दीजे समत १९०५ मिती मागसर सुद ९।
१ रुको खास साह फतहचन्द दिसी. श्री रामजी
रुको खास साह फतह चन्द दिसी तथा कणवाई वाचीसी बदडै सु धाड धीरावतां तरण जीतां वगैरह आवंता था ज्यांने तु बां ठाकरां रणजीतसिंगजी हरनाथसिंघजी सामय हयः मारा बाकी रहा ज्यांने पकड लीना सु आ थारी मोटी चाकरी सझी हमै इवै काम में हुवे जिका ने हद सुधी खातरी देजे समत १९०५ मागसर सुदी १०
१ रुको खास साह फतहचन्द दीसी. श्री रामजी।
रुको खास साह फतहचन्द दिसी सुप्रसाद घचै अपरंच अलवर साहवारी खरीतो आयो तैम लिखो सरसैरे बंदोबस्त वार ते फौज ले जात्रण रै वां दरबार री फौज बुलाई तेसु म्हे तेराव गुमानसिं बने साहब मोसुफ पासी आज चढायो छै तणे पण बुलावै तागं तोप व असवार वा पाल ले सताबसु जाय हाजार हुव जाईये में ढील न करसो. संवत १९१४ मीती अपाड वदी ३ १रुको खास माह फतेचन्द दीसी श्री रामजी।
श्री दीवान वचनात भादरा री शाहकारा पा परगमैरा चौधरियां रै यह समस्तां जींग तिथा भादरारी हाकमी फतेहचन्द रै आगे थी सु इयारे
[अनुसंधान भाटे सुमे। पानु पा ]
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