Book Title: Jain Satyaprakash 1940 10
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाह केसरीचंदजी सुराणा लेखकः-श्रीयुत हजारीमलजी बांठिया, बीकानेर शाह केसरीचंदजी सुराणा, स्वनामधन्य वीरशिरोमणि दीवान राव शाह अमरचंदजी सुराणा के कनिष्ठ पुत्र थे । आप भी अपने दो ज्येष्ट भ्राताओं और पिता की तरह रणकुशल सेनापति थे । आपने बीकानेर नरेश महाराजा रत्नसिंहजी के राज्यकाल में बीकानेर की अच्छी सेवाों की, जो इस राज्य के पुनित इतिहास में चिरस्मरणीय रहेगी । शेरां के शेर ही पैदा होते हैं, यह कहावत आपके जीवन-चित्रण से स्पष्ट मालूम होती है। ____ आपके जन्म और स्वर्गवास की तिथि अभीतक निश्चित नहीं हो पाई है। आप निःसंतान ही स्वर्गवासी हो गये थे। राजनैतिक और सैनिक क्षेत्र वि. सं. १८९४ ( इ. स. १८३७ ) के दिनों में चरला का बीदावत कान्हसिंह जोधपुर एवं जयपुर से मदद लेकर बीकानेर इलाके में लंट मार कर प्रजा को अत्यधिक कष्ट देने लगा। उसे पकडने के लिये बीकानेर की ओर से शाह केसरीचंदजी सुराणा भेजे गये । आपने इस बागी सरदार को सुजाणगढ़ में गिरफतार कर बीकानेर भिजवा दिया । इन्हीं दिनों में ठाकुर खुमाण सिंह, करणीसिंह, अहड़ वाधा आदि ने जो इस समय जोधपुर इलाके में रहते थे, बीकानेर के गांव साधासर और जसरासर लंट लिये और कितनेक गांवों के ऊँट पकडे ले गये। ये सब लुटेरे गांव झरडिया में रहते थे । नागौर के हाकिम के लिखने पर सुराणा केसरीचंदजी ने एवं ठा. हरनाथसिंहने उन लुटेरों पर चढाई की। इन लुटेरों ने कई दिन तो भागते भागते सुराणाजी का सामना किया और अंत में वे सीवा भाग गये। जब अंग्रेज सरकार की ओर से मि० कप्तान विलियम फार्टर साहेब बहादुर ज्वारजी, डूंगजी आदि लुटेरों को गिरफतार करने के लिये बीकानेर आये तो महाराजा रत्नसिंहजी ने उनकी मदद के वास्ते शाह केसरीचंदजी को उनकी (फार्टर की) सेवा में भेजा । डूंगरसिंह ज्वारसिंह आदि लुटेरे भागकर अपने साथीयों के साथ बीकानेर आये । इसकी सूचना मिलते ही केसरीचंदजी ने उनका पीछा किया और उनमें से कइयों को गिरफतार कर लियी। वि. सं. १९०२ ( ई. स. १८४५ ) में तत्कालीन बीकानेर नरेश ने आपकी खीदमतों पर प्रसन्न होकर शाह केसरीचंदजी को रतनगढ़ के हाकिम के पद पर सुशोभित किया। इसी बाबत आपको स्टेट की ओर से मोतीयों के चौकड़ों के रुपये मिले । यह बात एक रुक्के में इस प्रकार है: For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44