Book Title: Jain Satyaprakash 1937 11 SrNo 28
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मांडवगढ संबंधी लेख संग्राहक-नंदलालजी लोढा-बदनावर (मालवा ) [स्वर्गस्थ यतीवर्य माणकचंदजी इन्दोर निवासीकृत पुस्तकसे उद्धृत् ] (१८) संवत १५१५ वर्षे श्री श्री वंशे । से । श्री नागमल भ्रातृ से । श्री महाभा । श्री ललनादे पुत्रसे ॥ श्री कमलसीसु० श्री विहणसीकेन लाडी सहितेन स्व श्रेयोर्थ श्री अंचलगच्छे श्री सिद्धांतसागरसूरीणामुपदेशेन ॥ श्री श्री संभवनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं च संघेन । श्री मंडपदुर्गे ॥ यह लेख श्वेतपाषाणकी ११ इंच उंची प्रतिमाके पाटलीके पृष्ठ भागमें लिखा है । पृष्ठ ९५ नं. २ (१९) संवत १६८२ वर्षे मी० वैसाख शुक्लपक्ष दशमी सोमे मंडपाचलवासीय उकेशज्ञातीय वृद्धशाखायां सा० सुपलद भा० टाकूसुत सा० धर्मदास भ्रातृ सा० वर्मदास भार्या विमलादे सुत सा० जिणदास भा० यसमादे प्रमुख कुटुंबयुतेन श्री मल्लीनाथबिंब कारापित तपापक्षे श्री अकबर प्रदत्त 'ता० १५-५-३६को इन्हीं प्रतिमाकी लेख नकल हमने उतारी वो इस मुजब है: सं. १६८० वर्षे माघ मासे शुक्लपक्षे दशमी सोमे मंडपाचल वास्तव्य उकेश ज्ञातीय द्रडशाखायां सा० रूपचंद भा० टाकू सु० सा० धर्मदास पुत्र सा० वर्मदास भा० विमलादे सुत सा० जिणदास भा० यसमादे प्रमुख कुटुंब युतेन श्री मल्लीनाथबिंब कारापितं । तपागच्छे श्री अकबरप्रदत्त जगतगुरु बिरुदधारक भ० श्री हीरविजयसूरीश्वर स्तत्पट्टालंकार भ० श्री विजयसेन. सूरीश्वर स्तत्पट्टालंकार भट्टारक श्री विजयदेवसूरीश्वरनिर्देशात् पं. जयविजयगणिभिः प्रतिष्ठितं-कालश लंछण । श्रीमान् मुनिराज श्री यतीन्द्रविजयजीकृत यतीन्द्रविहार दिग्दर्शनके चौथे भागके पृष्ठ २११ लेख नं० ८० में उक्त प्रतिमाके लेखकी नकल प्रकाशित हुई है। उसकी नकल इस मुजब हैः संवत १६४७ वर्षे माघ मासे शुक्लपक्षे दशमी सोमे मंडपाचल वास्तव्य उकेश ज्ञातीय सा० रूपचंद मार्या टाकू सुत सा० धर्मदास पुत्र सा० धर्मदास भा० विमलादे पुत्र सा० जिनदास भा० रतनादे पुत्र रत्न कुटुंबयुतेन श्री मल्लिनाथबिंबं कारापितं तपागच्छे श्री अकबर प्रदत्त जगद्गुरु बिरुद धारक भ. श्री हीरविजयसूरीश्वर पट्टालंकार भ. श्री विजयसेनसूरीश्वरस्तत्पट्टालंकार श्री विजयसेनसूरीश्वर निर्देशात् पं. जयविजयगणिभिः प्रतिष्ठितं । For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44