Book Title: Jain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Author(s): Deviprasad Mishra
Publisher: Hindusthani Academy Ilahabad

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Page 2
________________ डॉ देवी प्रसाद मिश्र का प्रस्तुत ग्रन्थ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावशाली शोध कार्य है, जो तथ्यों के सूक्ष्म अनुसन्धान तथा उनकी प्रामाणिक व्याख्याओं से मण्डित है। विषय का साहित्यिक प्रस्तुतीकरण मोहक, चारु और अत्यधिक लाभप्रद है ।.... लेखक द्वारा विषय के विश्लेषणात्मक प्रस्तुतीकरण से उसकी क्षमता का आभास मिलता है, जो भारतीय सांस्कृतिक इतिहास की अनेक ज्वलन्त समस्याओं को समाधान करने में सक्षम है। ...."इससे विद्वान् लेखक की मौलिक शोधदृष्टि, आलोचनात्मक विश्लेषण, तथ्यानुसन्धान तथा तुलनात्मक अध्ययन की क्षमता का द्योतन होता है । ...."प्रस्तुत ग्रन्थ जैनविद्यानुरागियों, विद्वानों एवं अनुसन्धाताओं के लिए प्रकाश-पुञ्ज है। डॉ० नथमल टाटिया निदेशक जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन एक महत्त्वपूर्ण शोध-प्रबन्ध है । इसमें सांस्कृतिक सामग्री का सुव्यवस्थित अनुशीलन प्रस्तुत किया गया है । डॉ देवी प्रसाद मिश्र ने अपने इस ग्रन्थ को भारतीय संस्कृति के अध्ययन का एक आकर ग्रन्थ बना दिया है। ....." प्रस्तुत ग्रन्थ में विद्वान् लेखक ने पुराणों की महत्त्वपूर्ण सामग्री को समकालीन साहित्यिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक साक्ष्यों के आलोक में जाँचा-परखा है। भारत की विभिन्न सांस्कृतिक परम्पराओं के संदर्भ में उसका आलोचनात्मक विवेचन प्रस्तुत किया है।'' लेखक का व्यापक अध्ययन, उदार दृष्टिकोण और आग्रह-मुक्त विश्लेषण ग्रन्थ में पदे-पदे दृष्टिगोचर होता है। ... मेरी दृष्टि में यह प्रथम ग्रन्थ है, जिसमें जैन पुराणों का सर्वाङ्गीण सांस्कृतिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। निःसन्देह यह ग्रन्थ भारतीय संस्कृति के अध्येता, अनुसन्धाताओं एवं विद्वानों का मार्ग-दर्शक सिद्ध होगा। डॉ० गोकुल चन्द्र अध्यक्ष, प्राकृत एवं जैनागम विभाग सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी lain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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