Book Title: Jain Prakrit Sanskrit Prayogoni Pagdandie
Author(s): H C Bhayani
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 1
________________ जैन प्राकृत-संस्कृत प्रयोगोनी पगदंडीए - हरिवल्लभ भायाणी १. शब्दप्रयोगो (१) सं. चेलक्नोपम्, (२) प्रा. पाणद्धि, (३) दे. मोरउल्ला, (४) प्रा. उट्ठन्म के उटठुब्भ् ? (५) दे. साइतंकार, (६) गुज. चणव, हिं. चुगना. (१) सं. चेलक्नोपम् कपडां तरबोळ बनी जाय तेटो (वरसवं) हेमचंद्राचार्यना योगशास्त्र मां योग द्वारा केवलज्ञाननी प्राप्ति थती होवाना संदर्भे वृत्तिमा आपेली भरत चक्रवर्तीनी दृष्टांतकथामां ऋषभदेवना विवाहवर्णनमा, देवगण सहित इंद विवाह माटेनी जे विविध तैयारी करे छे तेमां विवाहमंडपना द्वारे वादळाए जळ वरसाव्यानो निर्देश नीचे प्रमाणे छ : ववषर्मण्डप-द्वारे चेलक्नोपं पयोमुचः । (योगशास्त्र', १-१०; वृत्ति-श्लोक १,७६.) मंडपना द्वार पासे वादळो कपडा तरबोळ बनी जाय तेटलुं वरस्या.' सं, क्नय धात भीनं थव (उन्दन) अर्थमा नोंधायो छे. (पाणिनीय धातुपाठ, १४, १४, हैम धातपाठ, (०२), तेना प्रेरक अंग क्नोपय् (अष्टाध्यायी --- ७-३-३६, ८६) परथी अम् - प्रत्ययवाळ संबंधक भूतकृदंतनुं रूप क्नोपम्, ज्यारे वस्त्रवाचक पद साथे समस्त थईने वपराय छे, त्यारे ते केटला मोटा प्रमाणमा वरसाद पड्यो ते सूचवे छे. जेम के चेलक्नोपं । वस्त्रक्नोपं । वसनक्नोपं वृष्टो देवः / मेघः ('अष्टाध्यायी - ३-४-३३ उपरनी वृत्तिमा; सिद्धहेम परनी लघवृत्तिमां). ___ शिशुपालवध मां वस्त्रक्नोपम् नो प्रयोग थयो छे. पण संस्कृतसाहित्यमाथी चलक्नोपम्नो कोई प्रयोग नोंधायो नथी. वैयाकरण हेमचंदाचार्ये करेला तेना प्रयोगने बीजा कोई प्रयोग ध्यानमा न आवे त्यां सुधी अनन्य गणवानो रहेशे. १. चेलार्थेषु कर्मसूपपदेषु क्नोपेर्णमल स्याद् वर्षप्रमाणे । यथा वर्षणेन चेलानि क्नोप्यन्ते तथा वृष्ट इति चेलक्मोपं वृष्टः ॥ तथा चेलार्थाट् व्याप्यात् परात् क्नोपयतेस्तुभ्यकर्तृकार्थाट् वृष्टिमाने गम्ये धातोः सम्बन्धे णम् वा स्यात् ॥ २. उपयुक्त संदर्भ :- संस्कृत अंग्रेजी कोश. मोनिअर विलिअम्झ. धातुरूपकोश, धर्मराज नारायण गांधी. योगशास्त्रा. संपादक, मनि जंवूविजयजी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11