Book Title: Jain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Author(s): Mulchandra Jain
Publisher: Jain Sahitya Sammelan Damoha

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Page 15
________________ कविवर बनारसीदास साधारण को जो शिक्षा प्राप्त होना चाहिए वह प्राप्त नहीं होती अस्तु चे विश्वस्त तथा पूर्ण चरित्र नहीं कहे जा सकते। . कवि शिरोमणि बनारसीदास जी ही एक ऐसे कवि थे जिन्होंने अपने जीवन की घटनाओं का यथार्थ वर्णन किया है। और अपने गुण दोषों को समान रूप से समालोचना की है अपने पतन और उत्थान के चित्रण करने में उन्होंने पूर्ण सत्य से कार्य लिया है। उनकी जीवन' घटनाओं तथा स्पष्ट समालोचना से प्रत्येक पढ़ने वाला व्यक्ति शिक्षा ग्रहण कर सकता है तथा अपने दोपों को दूर करने के लिए उसे शक्ति और साहस प्राप्त होता है। अपने दोषों की स्पष्ट समालोचना करना सांधारण व्यक्ति का कार्य नहीं है उसके लिए महान व्यक्तित्व और प्रचंड आत्मबल की आवश्यक्ता है। कविवर ने अपने दोषों का स्पष्ट । चित्रण करके अपने अलौकिक साहस का परिचय दिया है। चंश परिचय जिन पहिरी जिन जन्मपुरि-नाम मुद्रिका छाप । सो बनारसी निज कथा, कहै आपसों आप ।। · मध्य भारत में रोहतकपुर नामक एक प्रसिद्ध नगर ५ उसके निकट ही विहोली नाम का एक सुन्दर ग्राम था उसमें राजपूत क्षत्रिय रहते थे। एक समय एक जैन तपस्वी. विहार करते हुए वहाँ आए। उनका आचरण बड़ा पवित्र था। उनके . उपदेश में एक विचित्र आकर्षण था। उनके अहिंसामई उदार जैन धर्म के उपदेश को सुनकर ग्राम के सभी राजपूतों ने जैन धर्म की दीक्षा धारण करली।

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