Book Title: Jain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Author(s): Mulchandra Jain
Publisher: Jain Sahitya Sammelan Damoha

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Page 14
________________ www प्राचीन हिन्दी जैन कवि wormireme mornima द्वारा 'जो यश प्राप्त होता है वह राजा और महाराजाओं को अपना सारा वैभव लुटा देने पर भी नहीं मिलता। यद्यपि हमने अपने महान कवियों के यश वैभव को भुला दिया है किन्तु जब तक संसार में उनका काव्य रहेगा तव तक उनका यश अजर अमर रहेगा। __ महा कवि बनारसीदास जी हिन्दी भापा के प्रतिभाशाली कवि थे उनका कविता पर असाधारण अधिकार था उनकी काव्य कला हिन्दी के काव्य क्षेत्र में एक निराली ही छटा लिए हुए है। उनके प्रत्येक पद में उनकी निजी छाप है। उनके पास शब्दों का अमर भंडार थां कविता के क्षेत्र में उन्होंने.बड़ी स्वतंत्रता से कार्य किया है और ऐसे रूक्ष विषय पर काव्य की धारा बहाई है जिसे अन्य कवियों ने 'मरुस्थल ' समझकर छोड़ दिया था।. ., उनका काव्य निर्मल चांदनी के समान प्राणियों के हृदय में अलौकिक शीतलता उत्पन्न कर, पाप विकारों को शांत करता हुआ अक्षय-सुखामृत की सृष्टि करता है। कविवर ने अपनी जीवन कथा स्वयं लिखी. है आज से ३० वर्ष पूर्व वे अपने ५५ वर्ष के अनुभव का निचोड़ अपने लिखे हुए अर्थ कथानक में सुरक्षित रख गए हैं। यह जीवनचरित भारत के जीवन चरितों के इतिहास में एक अपूर्व कृति है। - यद्यपि और भी अनेकों कवियों ने अपने जीवनचरित्र लिखे हैं परन्तु उनमें अनेक असंभव तथा असत्य घटनाओं का ऐसा समावेश किया है कि उनपर विश्वास ही नहीं किया जा संकता और न उससे उनके जीवन और चरित्र का वास्तविक १. पता. ही लगता है उनके जीवन. तथा आचरण से सर्व

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