Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 07 Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ ५०१ Romame MDMINERAUTAHITTPIPAagatpuIPyy ---77 जेनकथा रत्नकोष म .S 4 नाग सातमो. आ नागमा वैराग्योत्पादक श्रीटचीचं अने गुणसागरनुं शंखरा जाने कलावतीना नवी मामीने एकवीश न बनें बालावोध रूप चरित्र दाखल करेलु ने. प्रसंगोपात बीजी पण केटलीएक विचित्ररसोत्पादक चित्तचमत्कृतिकारक कथाओ आवेली छे. चतुर्विध श्रीसंघने यांचया तथा भणवा माटें. श्रावक. खीमजीनीमसिंह माणके. निर्णयमागर प्रेममा छपावी प्रसिद्ध करयुं छे. T-50 -- M संवत् १०.४८. सन १८९२. आ पुस्तकने फरी छापवानी र सरकारना कायदा प्रमाणे नोंघाव्यो , 141341Page Navigation
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