Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 07
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ अनुक्रमणिका. १४ बारमे नवें पृथ्वीचं,गुणसागर,कया लोकमां केवा देवथया.इत्यादि.२३ १५ सातमा सर्गमां. तेरमे नवें पृथ्वीचं पद्मोत्तरनामा राजा थयो, अने गुणसागर तेनो हरिवेगनामा मित्र थयो, तेनुं चरित्र. ते मां पद्मोत्तरने लग्न करवा जतां रस्तामां तापसियोने त्यां रहे ली कोइएक गुणमाला कन्यानुं तापसे कहे वृत्तांत, तथा तेणे ते कन्यानुं करेलुं पाणिग्रहण.तदनंदर सूर्यलेखा अने शशिलेखानुं स्वयंवरमां पाणिग्रहण, त्यां आवेला राजकुमारो साथें यु६.करेलुं हरिवेगनुं जन्म, तथा तेनी लग्नक्रिया, ते हरिवेगनुं ज्ञानी मुनिना कहेवाथी पद्मोत्तरने उपवेश करवा वैक्रिय मिंदडो बनावी जर्बु, अने ते प्रसंगें केटलाएक मिथ्यात्वी ब्राह्मणोना मतनुं युक्तिथी सविस्तर खंमन. जुगारी अने संसारीनी समानता मानी मनमां वैराग्य लावी ते पद्मोत्तरतुं तथा हरिवेगनुं दीक्षा ग्रहण. ते शिवाय प्रसंगोपात बीजी पण केटलीएक रसिक कथा . २०३ १६चौदमेनवें पृथ्वीचं,गुणसागर,कयालोकमां केवा देव थया.इत्यादि. ३२ १७ आठमा सर्गमां. पन्नरमे नवें पृथ्वीचं गिरसुंदरनामा राजा थयो, अने गुणसागर तेना काकानो पुत्र अने मित्र रत्नसार थयो. तेनुं चरित्र. तेमां गिरिसुंदरकुमारनुं चोरने पकडवा जश् चोरने मारी, तेनी हरण करेली सर्व कन्याउनी साथें पाणिग्रहण. ते हरिवेगने शोधवागयेला रत्नसारने सिंहरूप देवनोवनमांसमागम, तेप्रसंगें ते सिंहने पोताना वृत्तांतनुंकहेवं, तेमांरत्नसार-दयाधर्मनुंआधि क्य तथा हरिवेगर्नु अने रत्नसारनुं याथा तथ्य मैत्र्य.श्रीजयनंदन सूरिये करेलीदे शनामांमुनिने पूबवाथी मुनिदानना माहात्म्यथ की हरिवेग अने रत्नसारना माता पिताने राज्यजसुख मत्यु ते आश्रयी तेउनी पूर्वनव कथा ते शिवाय बीजी पण कथा. ३२ १ सोलमेनवें पृथ्वीचं,गुणसागर,कयालोकमां केवा देव थया.इत्यादि. ३७ए १ए नवमासर्गमां. सत्तरमे नवें पृथ्वीचं कनकध्वज नामा राजा थ यो,बने गुणसागर तेमनोरमान ना जयसुंदर थयो. तेनुं चरि त्र. तेमां ते बेदुजाने विद्याधरनी शो शो कन्या साथें जम थवानुं वृत्तांत. स्वयंवर मुनिनी दीधेली देशनामां संसारने उग्रवननी उप

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