Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 07 Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ ॥ अस्य ग्रंथस्यैकादशसर्गाणामतिसंक्षिप्तानुक्रमणिका ॥ क्रमांक. १ प्रथमसर्गमां. ग्रंथकारकृत मंगलाचरणना श्लोको सार्थ. १ पृथ्वीचंद ने गुणसागरना जे एकवीरा जव थया, तेमां कया वो, कये स्थलें घने कोने कोनें त्यां थया, तेनुं संक्षिप्त वर्णन. ३ प्रथमनवें पृथ्वीचं शंखनामा राजा थयो, तथा गुणसागर तेनी कलावती नामा स्त्री यइ, तेनुं चरित्र तेमां तेनो जे कलावती सायें संबंध थयो, तेनुं वृत्तांत खने कलावती, राणीने तेना नाइना श्रापेला बाजुबंध पहेरेली जोइने शंखराजाने वहेम श्राववाथी ते राणीनुं वनमां मूक, तथा तेना हाथ कपाववा, तेने वनमां पुत्र प्रसव थवो, शंखराजानो पश्चात्ताप थवाथी अग्निमां पड वा तैयार य, ते शंख राजाना ने कलावतीना पूर्वन वनी कथा. ते शिवाय प्रसंगोपात बीजी पण घणी कथा . ४ बीजे नवें ते पृथ्वीचंद ने गुणसागर कया देवलोकमां केवा देव थया. तथा तेनुं केटलुं केटलुं यायुष्य. इत्यादि...... ५ बीजा सर्गमां. त्रीजे नवें पृथ्वी चंड् कमलसेन राजा थयो, अने गुण सागर तेमनी स्त्री गुण सेना थइ, तेनुं चरित्र. तेमां कमलसेनने अंग देशना राज्यनी प्राप्ति तथा गुणसेनानुं पाणिग्रहण, अंगदेशना श्रीके तुनामा राजानो इतिहास. तेमां को एक विनयं धरनी पतिव्रता चार स्त्रीयोना पूर्वजवनी कथा. नदीनुं पर जोइ कमलसेन ने वैराग्य थवा पृष्ठांक. ܐ ५ ४३ सस्त्र दी. शिवाय तेमां बीजीपणप्रसंगोपात घणी कथाले ४४ ६ चतुर्थनवें पृथ्वीचंड्, गुणसागर, कये देवलोकें केवा देव थया. इत्यादि ए४ ७ त्रीजा सर्गमां. पांच मे नवें पृथ्वी चंद्र देव सिंहराजा थयो, तथा गुण सागर तेनी कनकसुंदरी नामा स्त्री थयो, तेनुं चरित्र. तेमां प्रसंगतः सुरगुरुप्राचार्यनी यापेली देशनामां संसारने बंधिवा नानी तुल्यता, तथा व्यपूजा करनार सूडाडीनी कथा, तेमां ते सूडा सूडीने जिनपूजनना प्रभावथी बीजा सुखद नवो यया, ए वगेरेनी कथा. तेमां श्रुतसागरनी करेली देशनामां संसारनुं घनेPage Navigation
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