Book Title: Jain Jivan Shailee
Author(s): Manitprabhsagar, Nilanjanashreeji
Publisher: Jahaj Mandir Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ प्रिय शिष्य मुनि मनितप्रभ ने संघ को जैन जीवन शैली के रूप में एक अनूठाउपहार दिया है। यह ग्रन्थजैनधर्म दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आचार-विहार, आहार, जाप आदि आवश्यक विषयों को अपने आप में समेटे हुए है। इसमें धर्मदर्शनकीगूढ़पंक्तियों को अत्यन्त सरलता के साथ समझाया गया है।यह जैन धर्म की कुंजी है। अपने अध्ययन, स्वाध्याय और संयम-क्रियाओं की नियमितता के साथ साथ लेखन की प्रवृत्ति में निरन्तरता बनाये रखना, मुनि मनित के अप्रमत्तयोगकी अनूठी विशेषता है।सर्जन उसकास्वाध्याय है। उसकी प्रवृत्ति में निवृत्ति की प्रेरणा है। कामना है कि उसके पुरूषार्थ का परिणाम संघ को निरन्तर प्राप्त होता रहे। मणिप्रभसागर जैन जीवन शैली अपने आप में सम्पूर्ण ग्रन्थ है।इसमें किसी एक विषय की नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन कीमीमांसाकी गयी है, जो जीवन जीने की कला को नया निखार दे, आचार में संस्कार के रंग भर दे, बोलने- चालने का ढंग सिखा दे। जैन दर्शन और जीवन के प्रति बेहतरीन नजरिया देने वाली इस अद्वितीय पुस्तक के लेखक आत्मीय बंधुमुनिश्रीमनितप्रभसागरजीम. ढेर सारी बधाईयों के पात्र है। शीघ्र ही इस ग्रन्थ का द्वितीय खण्ड प्रकाशित हो, इसीप्रतीक्षामें...! साध्वी डॉ. विद्युत्प्रभाश्री

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 346