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जैनहितैषी -
ओर अनेक जाति के लोगोने जैनधर्मकी तथा मेरी प्रशंसा करी वो प्रशंसा मेरे मुखसे मे कह नहीं सकता अंतमें ये कह देते हैं कोई देवता सिद्ध है मेने परमतके १४ पुराण ५ स्मृति २ संहिता २ वेद ४ उपपुराण वाल्मीक रामायण देवी भागवत सवा लक्ष महाभारत ३ वार ओल्ड ओर न्यू टेष्टमेंट वाइविल कुछ हदीस कासासुल अंविया तथा औलिया तथा सैकड़ो इतिहास तथा साइंस से जैनमतकी प्राचीनता तथा गुवालियर भंडारके सर्व ग्रंथ न्याय सिद्धांतोको छोड़करके १ लाख श्लोक स्वेतांबर मतके ये सर्व ग्रंथ मेरे देखे हैं हजारो लोक मैने छांटे हैं हजारो कंठ किये हैं ५ हजार श्लोक जैनमतका १ हजार परमतका ६ हजार भाषाके कंठ किये हैं ४५ वर्ष से कोशिस कर रहा हूं ४५ हजार दीका (रु० ? ) हर्जा उठाया है शास्त्राभ्यास में भला आप सोचिये में अन्यथा प्रकार सभामे व्याख्यान कैसे दे सकता हूं मेरे उपदेशसे हजारो स्त्रीपुरुषोने दयाधर्ममे प्रवर्तन किया हजारो अन्यमतियोने तथा मुसलमानोने दया पाली है वस मे आप सारसे साइंस के विद्वानको जादा क्या लिखूं येही संक्षेप वोहत है
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एसे शास्त्रानुकूल व्याख्यानको इटाये पंथी वा मुरेनेपंथी वा ब्रह्मपंथी निंदा करै ये मेरे भाग्यका दोष है ये मुझमे अवश्य दोष है कि कोई जैन पूजाप्रतिष्ठा मे आदमी भेजके मुझे बुलालेवे और उस वकतमे ये भी आजाय तो इन लोगो के व्याख्यान कोई पसंद नहीं करता तब इनके कलदारोकी आमदनीमे फरक पड़जाता है सब लोग मुझे देखते हैं जैसा अभी वैसाख वदीमे इंदोरमै मेरी सभामे १२ बजेतक ४ हजार आदमी इनकी सभामे एक दिन ४० आदमी ओर भी अनादर इसी वातपर जलकर जैनमित्रमे छपा दिया घरका गजट हे चाहे जो छपावै मेरे भाग्यसे आप उत्तरदाता खडे हो गये मैं आपको धन्यवाद देता हूं आप निष्पक्षपाती हो आपके जैनहितेषी पदार्थविद्यासे भरा उसकी तारीफ लिख नही सकता सरस्वती प्रशंसा करती है इस संक्षेप पत्रके पढ़नेमे तकलीफ होगी परंतु मेरी दिली बीमारी जाती रहेगी बस कृपादृष्टि रखना क्षमा चाहता हूं
मेरा ठिकाना लखमीचंद पदमचंद बाजार कसेरा ओली लशकर गुवालियर आगे आपकी जैनहितेषी बराबर जैनमे कोई गजट नही साइंस भरा रहता है। सरस्वती भी प्रशंसा करती है
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