Book Title: Jain Gotra Sangraha
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रस्तावना Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुज्ञ वाचकोने विदित थाय के आ " जैन गोत्र संग्रह " नामना पुस्तकमां जैनोना संबंधवाळी प्राचीन इतिहासिक बraat घणा श्रमयी संग्रह करी उपयोगी जाणी प्रसिद्ध करेली छे, जे वांचवायी मालुम पडशे, प्राचीन काळमां जैनोनां गोत्र, कुल, वंश तथा तेओना वंशजोनां नामो तेओना कुलगुरुओ लखता हता. हालमां पण केटलाक देशोमां तेवा भाट आदिकथी ओळखाता वइचाओ विगेरे ते पद्धतिने अनुसरी तेम करता देखाय छे. अने एवी रीतना प्राचीन इतिहासनो लोक भाग जळवाइ रहेलो छे, परंतु तेवो इतिहास फरू तेओना चोपडा अथवा टीपणा जेवा लोग खरड मोर्या अव्यवस्थित हालतमां तेओ पासेज दोवाची वीजा कोइनी पण जाग आवी शकतो नथी, तेम पोतानी आजीविका एकशानी थवाना भयथी तेओ ते छपावी प्रसिद्ध करवामां संकोचाय के अने तेथी तेवी प्राचीन इतिहासिक हकीकत जं धारामांज रही लोकोपयोगी थती नथी. अमोए वणा श्रमथी जैनोनी तेवी प्राचीन इतिहासिक हस्तलिखित हकीकतो मेळवी तेनो संग्रह करी आ पुस्कर्मा छापी For Private And Personal Use Only

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