Book Title: Jain Gotra Sangraha
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २ ) प्रसिद्ध करी छे, जेने उपयोगी जाणी जैनो तेनो लाभ लेशे तो हुं मारा आ श्रमने सफल थयेलो जाणीश. जैनोमां आवी रीतनो कुलपरंपराओनो इतिहास लखवानी शिरुआत विक्रम संवत ७७५ ना चैत्रसुदी सातमथी श्रीवर्धमानपुरमा थयेली छे, अने ते संबंधि नीचे मुजब इतिहास एक प्राचीन हस्त लिखित लेखमां खेलो मल्यो छे. G श्री चोर्यासी गच्छोनी स्थापना, श्री महावीर प्रभु पछी १९९३ ना वर्षमां अने विक्रम संवत ७२३ मां ( मतांतरे १४६४ - ९९४ ) मां श्री उद्योतनसूरिना नीचेमुजब चोर्यासी शिष्यो हता, तथा तेओ सघळा महाविद्वान हता, अने तेओ सर्वे सूरिपदने लायक हवा, गुरुए तेमने पूछवाथी तेओए कां के अमो सर्वने सूरिपद मेळवावानी इच्छा छे पछी गुरुमहाराज ते सर्व शिष्यो साथै विहार करता मित्रमाल नगरनी पासे बटगाम नामना गाममां आव्या, ते गामनी उत्तर दिशामां एक महान वडनुं वृक्ष हतुं, ते नीचे विश्राममाटे For Private And Personal Use Only

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