Book Title: Jain Dharma ke Sadhna Sutra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 232
________________ सिद्धि के बिना कोई वांछित लाभ नहीं मिल पाता । जब साधना सधती है तब ‘त्याग है'- इस कथन मात्र से दरवाजा बंद हो जाएगा । संकल्प सिद्धि होने पर चेतना की ऐसी स्थिति बन जाती है कि संकल्प लेते ही आश्रव का दरवाजा बंद हो जाता है । जितनी समस्याएं, जितने क्लेश हमारे भीतर पैदा होते हैं,हम उन सबके दरवाजे बंद कर सकते हैं । कल्याण का पथ दरवाजों को बंद करने का उपाय है- संवर की सिद्धि | साधना के द्वारा उस चाबी को घुमाना है, जो दरवाजे खोले नहीं, बंद कर दे । उस चाबी को घुमाने से पहले साधनों का अभ्यास और उसकी सिद्धि जरूरी है । अभ्याससाध्य है संवर की सिद्धि | यदि संवर सिद्ध होगा तो हम अपने आपको बहुत सारे कष्टों से बचा लेंगे। इसके सिवाय कोई उपाय ही नहीं है । यही उपाय है दुःख मुक्ति का, दरवाजे को बंद करने का । हम इस उपाय के प्रति सजग बनें, कल्याण का पथ उपलब्ध हो जाएगा । २१८ जैन धर्म के साधना-सूत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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