Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 4 Author(s): Hastimal Maharaj Publisher: Jain Itihas Samiti JaipurPage 12
________________ श्र.भ. महावीर के ६२वें पट्टधर आ. श्री नानगजी स्वामी श्र.भ. महावीर के ६३वें पट्टधर आ. श्री रूपजी स्वामी लोकाशाह से पूर्व जैन संघ की स्थिति ६२१ ६२२ ६३५ ६४२ ६४७ लोकाशाह (६३५-८३४) धर्मोद्धारक सद्धर्ममार्तण्ड श्री लोकाशाह का आर्यधरा पर आविर्भाव लुंकामत प्रतिबोध कुलक लोकाशाह नये मत के नहीं किन्तु धर्मोद्धारक क्रान्ति के प्रवर्तक लोकाशाह के चौंतीस बोल श्री लोकाशाह ना ५८ बोल परम्परा लूँकाए पूछेल तेर (१३) प्रश्न अने तेना उत्तरो अनागमिक मान्यताओं के प्रति आस्थाएँ हिल उठीं ढूँढक रास (असत् कल्पना) लोकाशाह का जन्म व जन्म-स्थान आदि लोकाशाह के जन्म-काल के विषय में विभिन्न मान्यताएँ लोकाशाह का जन्म-स्थान, कुल और जाति लोकाशाह द्वारा शास्त्र लिखे जाने का समय लोकाशाह द्वारा उपदेश दिये जाने का सम्वत् लोकाशाह द्वारा शुद्ध साधुमार्ग प्रवर्तन विषयक उल्लेख लोकाशाह के दीक्षित होने अथवा न होने विषयक अभिमत ur or or or 9 ६९७ ७०२ ७०२ ७०३ ७०९ ७१२ ७१४ ७१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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