Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 4 Author(s): Hastimal Maharaj Publisher: Jain Itihas Samiti JaipurPage 10
________________ ३७२ ३७५ आ. श्री हेमचन्द्रसूरी द्वारा रचित ग्रन्थ उनतालिसवें युगप्रधानाचार्य विनयमित्र श्र. भ. महावीर के ५२वें पट्टधर आ. श्री सूरसेन श्र. भ. महावीर के ५१वें और ५२वें पट्टधरों के आचार्यकाल की राजनैतिक स्थिति गुर्जराधीश श्री सिद्धराज जयसिंह ३७७ ३७८ (३९४-४४२) ३९४ ४३४ परमार्हत् महाराज कुमारपाल भ्रष्ट मुनि को श्रमणश्रेष्ठ बनाने का आदर्श उदाहरण दीर्घदर्शी कुमारपाल पापभीरु एवं सच्चा आत्मनिरीक्षक कुमारपाल दृढ़प्रतिज्ञ कुमारपाल ४३७ ४३८ ४३९ - अजयदेव (४४३-४५४) अजयदेव द्वारा जैनाचार्य श्री रामचन्द्र की हत्या .... ४४३ ४४५ (४५५-५०४) ४५५ ४७४ ४७६ ४८५ ४८८ खरतरगच्छ श्री जिनमहेन्द्रसूरि वर्द्धमानसूरि की परम्परा : खरतरगच्छ का सामूहिक विरोध खरतरगच्छ की शाखा खरतरगच्छ की प्रशाखाएं खरतरगच्छ की पट्टावली उपकेशगच्छ अंचलगच्छ के उद्भव की पृष्ठभूमि आर्य रक्षित प्रतिष्ठाचार्य की योग्यता ५०० ५०५ ५१२ ५२२ ५४५ अंचलगच्छ का अपरनाम अचलगच्छ ५५२ (vii) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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