Book Title: Jain Dharma ka Maulik Itihas Part 4 Author(s): Hastimal Maharaj Publisher: Jain Itihas Samiti Jaipur View full book textPage 9
________________ 0 १२२ १२९ १३० १३६ १४६ १४७ १८५ १९५ २११ २१७ उद्योतनसूरि श्री चौर्यासी गच्छो नी स्थापना वर्द्धमानसूरि : चैत्यवासी परम्परा के हास का प्रारम्भ प्रथम क्रियोद्धार' जिनेश्वरसूरि जिनचन्द्रसूरि अभयदेवसूरि (नवांगी वृत्तिकार) द्रोणाचार्य (चैत्यवासी परम्परा) भ. महावीर के ५०वें पट्टधर आ. श्री विजय ऋषि के आचार्यकाल की राजनैतिक स्थिति जैन धर्म संघ पर दक्षिणापथ में पुनः संकट के घातक घने बादल अल्पसंख्यकों को बुक्कराय द्वारा दिया गया संरक्षण श्र. भ. महावीर के ५१वें पट्टधर आ. श्री देवऋषि (द्वितीय) जिनवल्लभसूरि (नवांगी वृत्तिकार ___ अभयदेवसूरि के शिष्य) आ.श्री जिनदत्तसूरि (दादा साहब) गच्छव्यामोहजन्य विद्वेष का ताण्डव श्री वादिदेवसूरि महान् वृत्तिकार आ. मलयगिरि आ. मलयगिरि की अनुपलब्ध कृतियां आ. अभयदेव मलधारी मलधारी आ. हेमचन्द्रसूरि पौर्णमीयक गच्छ आ. श्री हेमचन्द्रसूरि २३६ २३७ २७७ २८७ ३११ ३१२ ३१५ ३१८ ३२२ ३३२ (vi) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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